प्रयागराज महाकुम्भ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की महत्वाकांक्षी योजना ‘एक जिला-एक उत्पाद’ (ओडीओपी) के तहत लगाए गए स्टाल आकर्षण का केंद्र बन गए हैं। सोमवार को जारी एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गयी।
बयान में कहा गया कि 6,000 वर्ग मीटर में फैली एक भव्य प्रदर्शनी में जीआई-प्रमाणित ओडीओपी योजना के उत्पादों का स्टाल लगाया गया है, जिससे इस आयोजन के लिए लगभग 35 करोड़ रुपये का कारोबार होने की उम्मीद है।
बयान में कहा गया विविधताओं से भरपूर उत्तर प्रदेश को देश और दुनिया में ब्रांड बनाने को लेकर योगी सरकार लगातार प्रयास कर रही है। इसी मकसद से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर सरकार ने वर्ष 2018 में प्रदेश के पहले स्थापना दिवस पर “वन डिस्ट्रिक-वन प्रोडक्ट” (ओडीओपी) योजना लागू की।
आज यह सरकार की सबसे सफलतम योजनाओं में से एक है। इस योजना के जरिए हर जिले के कुछ खास उत्पादों को देश और दुनिया में नई पहचान मिली है। सरकार की मदद और ब्रांडिंग से इनसे जुड़े हजारों हस्तशिल्पियों और उनके परिवारों का जीवन बदला है।
सरकार के इन्हीं प्रयासों के नाते सिद्धार्थनगर का कालानमक चावल, गोरखपुर के टेराकोटा उत्पाद, कुशीनगर का केला और उससे बने उत्पाद, मुजफ्फरनगर के गुड़ और उससे बनने वाले अन्य उत्पादों का ‘क्रेज’ तेजी से बढ़ा है। ये तो चंद उदाहरण हैं, हर जिले की ओडीओपी का ‘क्रेज’ इस योजना के बाद बढ़ा।
इसके साथ ही देश व दुनिया में इनकी मांग भी बढ़ी। इसी सफलता के नाते उप्र सरकार ने इस योजना को विस्तार दिया और संबंधित जिलों के कुछ और खास उत्पादों को भी इसमें शामिल किया।
बयान के अनुसार, ‘वोकल फॉर लोकल’ की पहचान को और मजबूत बनाने के लिए योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार ने प्रदेश के हर जिले के कुछ खास उत्पादों को जीआई (जियोग्राफिकल इंडिकेशन) पहचान दिलवाने की योजना बनाई।
आज लगभग हर जिले के किसी एक या एक से अधिक खास उत्पाद को जीआई पहचान मिल चुकी है।
महाकुंभ में करीब छह हजार वर्ग मीटर में ‘एक जिला एक उत्पाद’ की प्रदर्शनी लगी है। चूंकि ‘एक जिला एक उत्पाद’ के कई उत्पादों को ‘जियोग्राफिकल इंडिकेशन’ भी मिला है, इसलिए इसमें विशिष्ट पहचान वाले ये उत्पाद भी शामिल हैं।
मसलन यहां काशी की ठंडई, लालपेड़ा, सुर्खा अमरूद, विश्व प्रसिद्ध बनारसी साड़ी और लकड़ी के खिलौने मौजूद हैं। गोरखपुर के टेराकोटा, मिर्जापुर के पीतल के बर्तन और प्रतापगढ़ के आंवले के ढेर सारे उत्पादों के स्टाल लगाए गए हैं। इन सबको जीआई मिल चुकी है।
एमएसएमई विभाग के अनुसार, कुल मिलाकर महाकुंभ के दौरान लगभग 35 करोड़ रुपये के कारोबार की उम्मीद है। चूंकि इनसे जुड़े अधिकांश लोग हस्तशिल्प से जुड़े हैं, इसलिए लाभ का अधिकांश हिस्सा भी इनके ही पास जाएगा।
देश के बाकी राज्यों को भी अपनी बहुरंगी विविधता, विरासत, संस्कृति, लोक परंपरा (खान-पान, वेषभूषा आदि) दिखाने के लिए भी महाकुंभ के रूप में बड़ा मंच मिला है। देश के अधिकांश राज्य अपने-अपने राज्यों के राज्य मंडपम में इसे दिखा रहे है। इसमें गुजरात, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश, दादरा नगर हवेली, नगालैंड, लेह आदि प्रमुख हैं।