भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकवादियों के ठिकानों पर किए गए सैन्य हमलों के बाद पाकिस्तान ने अपनी सेना को जवाबी कार्रवाई की इजाजत दे दी है। यह फैसला मंगलवार-बुधवार की रात भारतीय सैन्य अभियान के बाद लिया गया।
भारत ने यह ऑपरेशन 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के लगभग दो हफ्ते बाद शुरू किया। इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े एक आतंकी समूह द रेजिस्टेंस फ्रंट ने ली थी।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अध्यक्षता में राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (NSC) की बैठक हुई, जिसमें भारत की सैन्य कार्रवाई को उकसावे वाला, कायरतापूर्ण और अवैध युद्ध का कृत्य बताया गया। पाकिस्तान सरकार ने बयान जारी कर कहा, "भारत द्वारा PoK और पाकिस्तान की ज़मीन पर आतंकी शिविरों की मौजूदगी का दावा निराधार है। 22 अप्रैल की घटना के तुरंत बाद पाकिस्तान ने पारदर्शी और निष्पक्ष जांच का प्रस्ताव दिया था। जिसे भारत ने अस्वीकार कर दिया।"
पाकिस्तानी बयान में यह भी कहा गया कि भारत ने कथित रूप से नागरिक इलाकों को निशाना बनाया है, और पाकिस्तान को अपनी आत्मरक्षा में जवाब देने का पूरा अधिकार है। पाकिस्तान की सशस्त्र सेनाओं को इस संदर्भ में आवश्यक कार्रवाई की अनुमति दे दी गई है।
पाकिस्तान के सूचना मंत्री अताउल्लाह तारड़ ने भी भारत को चेतावनी देते हुए कहा कि पाकिस्तान को जवाब देने का अधिकार है और हम प्रतिक्रिया देंगे। साथ ही पाकिस्तान ने भारत के एक वरिष्ठ राजनयिक को तलब कर आधिकारिक विरोध दर्ज कराया और एक विरोध पत्र सौंपा।
भारत की तरफ से की गई 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत नौ आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हमले किए गए। इनमें चार ठिकाने पाकिस्तान में बहावलपुर, मुरिदके, सरजल और मेहमूना जोया और पांच ठिकाने PoK में थे। भारतीय सैन्य सूत्रों के अनुसार, इस ऑपरेशन का मकसद नियंत्रण रेखा (LoC) के पार आतंकियों के लॉन्चपैड और कैंपों को ध्वस्त करना था। भारत की यह कार्रवाई बेहद सटीक और सीमित रही, जिससे कोई भी पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान या नागरिक प्रभावित नहीं हुआ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अपने कैबिनेट सहयोगियों को इस सैन्य कार्रवाई की जानकारी दी। उन्होंने इसे हम सभी के लिए गर्व का क्षण बताया। सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने भारतीय सेना के इस कदम की सराहना की।