कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता शशि थरूर के निष्कासन को लेकर सियासी हलकों में चर्चा तेज हो गई है। हाल ही में थरूर का नाम पाकिस्तान प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद पर भारत के रुख को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करने के लिए गठित सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की सूची से गायब था, जिससे पार्टी में उनके प्रति असंतोष की अटकलें लगाई गईं। हालांकि बाद में सरकार ने थरूर को प्रतिनिधिमंडल में शामिल किया, जिससे पार्टी के भीतर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
कांग्रेस ने इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार पार्टी उनकी स्थिति पर नजर रखे हुए है। वहीं, भाजपा ने कांग्रेस पर थरूर को जानबूझकर दरकिनार करने का आरोप लगाया है। भाजपा नेता गौरव वल्लभ ने कहा कि कांग्रेस में योग्यता को दबाया जाता है और चापलूसी को बढ़ावा दिया जाता है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरकार थरूर को प्रतिनिधित्व देने को तैयार हैं, तो कांग्रेस को इससे समस्या क्यों है।
यह विवाद कांग्रेस के नेतृत्व और नीतिगत फैसलों पर सवाल खड़ा करता है। हालांकि पार्टी ने अब तक इस मामले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन यह स्पष्ट है कि थरूर की स्थिति पर पार्टी की नजर बनी हुई है। यह घटनाक्रम आगामी असम विधानसभा चुनाव 2026 के लिए कांग्रेस की रणनीति और आंतरिक एकजुटता पर असर डाल सकता है। पार्टी को इस मुद्दे पर जल्द ही स्पष्ट रुख अपनाने की जरूरत है ताकि राजनीतिक असमंजस से बचा जा सके।