भारतीय सेना की त्रिशक्ति कोर और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल ने उत्तर बंगाल के सुकना में संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास 'संयुक्त अभ्यास' का सफलतापूर्वक आयोजन किया। यह अभ्यास घने जंगल वाले इलाके में आयोजित किया गया था और इसका उद्देश्य दोनों बलों के बीच समन्वय और रणनीतिक तैयारियों को मजबूत करना था। भारतीय सेना की त्रिशक्ति कोर ने इस अभ्यास को राष्ट्रीय सुरक्षा और उत्तर-पूर्वी सीमाओं की रक्षा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। पघलगाम हमले के बाद इस अभ्यास को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
एएनआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, 'संयुक्त अभ्यास' में सैनिकों ने जटिल युद्ध परिदृश्यों में प्रशिक्षण लिया। इसमें घने जंगलों में सामरिक युद्धाभ्यास, प्राकृतिक आवरण का उपयोग और नकली युद्ध स्थितियों में समन्वित गतिविधियाँ शामिल थीं। अभ्यास का फोकस संयुक्त संचालन को बढ़ावा देना, आपसी समझ को गहरा करना और चुनौतीपूर्ण वातावरण में त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करना था। त्रि शक्ति कोर उत्तर बंगाल, सिक्किम और भूटान जैसे रणनीतिक क्षेत्रों की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "यह संयुक्त प्रशिक्षण हमें किसी भी परिचालन परिदृश्य के लिए तैयार करता है, चाहे वह उच्च ऊंचाई पर युद्ध हो या आतंकवाद विरोधी अभियान। सीएपीएफ के साथ हमारा सहयोग उभरते खतरों का तेजी से जवाब देने की हमारी क्षमता को मजबूत करता है।" यह अभ्यास 1999 के कारगिल युद्ध से सीखे गए सबक के बाद शुरू की गई 'संयुक्तता' की नीति का हिस्सा है, जो विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के बीच एकीकृत संचालन को बढ़ावा देता है।
सिलीगुड़ी कॉरिडोर के पास स्थित सुकना सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। 2017 के डोकलाम गतिरोध के बाद इस क्षेत्र में सैन्य तैयारियों को और मजबूत किया गया है। 45,000 से 60,000 सैनिकों वाली त्रिशक्ति कोर ने 1962 के भारत-चीन युद्ध में भी अहम भूमिका निभाई थी। इस अभ्यास के जरिए दोनों सेनाओं ने न सिर्फ अपनी ताकत का प्रदर्शन किया बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक चुनौतियों के बीच भारत की रक्षा क्षमताओं को भी रेखांकित किया। 'संयुक्त अभ्यास' का समापन भारत की सैन्य रणनीति में एक और मील का पत्थर है, जो दर्शाता है कि भारतीय सेना और सीएपीएफ किसी भी खतरे का मिलकर सामना करने के लिए तैयार हैं।