भारतीय मूल की नर्स निमिषा प्रिय की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। अब सरकार ने भी इस मामले में लगभग हाथ खड़ा कर लिया है। निमिषा को यमन में फांसी की सजा सुनाई गई है। उन पर एक यमनी नागरिक की हत्या करने का आरोप है। भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि “यमन की संवेदनशीलता को देखते हुए सरकार इस मामले में बहुत कुछ नहीं कर सकती है, क्योंकि भारत का यमन के साथ कोई खास राजनयिक रिश्ता नहीं है।” यह रिपोर्ट लाइव लॉ ने दी है।
सुप्रीम कोर्ट में निमिषा मामले में हस्तक्षेप करने की मांग को लेकर याचिका दायर की गई है। सरकार ने इस मामले में अपना पक्ष रखा, हालांकि सरकार का कहना है कि वह प्राइवेट चैनलों के जरिए निमिषा को बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। सरकार ने कहा: “हम जो कर सकते हैं वो कर रहे हैं, लेकिन हम भी एक हद तक ही प्रयास कर सकते हैं। यमन दुनिया के अन्य हिस्सों जैसा नहीं है। इस मामले को सार्वजनिक बयानबाजी करके और अधिक जटिल नहीं करना चाहते। प्राइवेट स्तर पर हम सभी कदम उठा रहे हैं।”
याचिकाकर्ता ने इस मामले में सरकार से मांग की है कि वह यमन में कथित रूप से पीड़ित परिवार से बात करे। निमिषा के परिवार ने यमनी पीड़ित परिवार को करीब 8.5 करोड़ रुपये ‘ब्लड मनी’ के रूप में देने को तैयार है। यमन की कानून के हिसाब से यह एक तरह का मुआवज़ा है। यदि पीड़ित परिवार इसे स्वीकार कर लेता है तो फांसी की सजा टल सकती है।
हालांकि, सरकार ने कहा है कि ‘ब्लड मनी’ एक निजी बातचीत का मामला है। इसमें सरकार ज्यादा हस्तक्षेप नहीं कर सकती। हालांकि, कुछ शेखों और प्रभावशाली व्यक्तियों से बातचीत की जा रही है।
बता दें कि निमिषा मूलतः केरल के पलक्कड़ जिले की हैं। वह फिलहाल यमन की जेल में बंद हैं। यह जेल ईरान समर्थित हौथी विद्रोहियों के नियंत्रण में है, जिन्हें भारत मान्यता नहीं देता। निमिषा साल 2011 में यमन गई थीं। बाद में उनके पति और बेटे वापस भारत आ गए, लेकिन वह वहीं रह गईं और एक यमनी नागरिक, अब्दो मेहंदी, के साथ मिलकर एक क्लिनिक खोली। निमिषा का आरोप है कि मेहंदी ने उनके साथ शारीरिक दुर्व्यवहार किया था। निमिषा ने उपर से उस पर हमला करने का आरोप लगाया है।