हरियाणा विधानसभा में लम्बे समय से निष्क्रिय चली आ रही विधायकों की विभिन्न समितियों की सक्रियता अब बढऩे लगी है। हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष ज्ञानचन्द गुप्ता ने पिछले दिनों वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से विधायकों से बातचीत की थी व सभी अधिकारियों द्वारा विधायकों के फोन तक न उठाए जाने की शिकायतें उन्हें मिली थी। विधायकों की इन शिकायतों के आधार पर ज्ञानचन्द गुप्ता ने पूरा मामला मुख्यमंत्री मनोहर लाल के संज्ञान में लाया था, इसके बाद हरियाणा के चीफ-सेकेटरी द्वारा विभिन्न जिला प्रमुखों को इस बारे में लिखित आदेश भी जारी किए गए थे कि विधायकों की अनदेखी न की जाए।
विधायकों की अनदेखी तथा मान-सम्मान न रखने के लिए बनी विशेषाधिकार समिति के पास काग्रेंस के एक विधायक की शिकायत भी मिली है कि एक जिला एवं खाद्य आपूर्ति नियंत्रक उनके फोन नहीं उठा रहे। विशेषाधिकार समिति ने 10 जुलाई शुक्रवार को डीएफएससी अधिकारी को चंडीगढ़ हरियाणा विधानसभा में तलब किया है।
विशेषाधिकार समिति के गठन को भी मात्र 10 दिन हुए हैं और यह पूरे एक्शन में नजर आ रही है। स्पीकर हरियाणा विधानसभा ज्ञान चन्द गुप्ता ने विधायकों से अपील की थी कि किसी भी अधिकारी से उन्हें शिकायत हो तो वह अपनी शिकायत विशेषाधिकार समिति के समक्ष रख सकते हैं। विधायकों का मान-सम्मान करने व प्रोटोकाल का उल्लघंन करने वाले अधिकारियों पर शिंकजा कसने के लिए विशेषाधिकार समिति बनी हुई है।
लम्बे समय से निष्क्रिय चली आ रही विशेषाधिकार कमेटी को इस बार दमदार बनाया गया। इस 10 सदस्यीय टीम में अध्यक्ष कमल गुप्ता व सदस्य विधायक हरविन्द्र कल्याण, विधायक कुलदीप बिश्नोई, विधायक किरण चौधरी, विधायक सीमा त्रिखा, विधायक असीम गोयल, विधायक सत्य प्रकाश, विधायक वरूण चैधरी, विधायक अमरजीत ढांडा, विधायक सोमबीर सांगवान नियुक्त किए गए हैं।
ज्ञानचन्द गुप्ता के विधानसभा अध्यक्ष बनने के बाद विधायिका विधानसभा के कार्यों में तीव्रता बढ़ रही है। हरियाणा की राजनीति में सदैव देखा गया है कि जब भी विधानसभा चुनाव होते हैं विधायक चुने जाते हैं, उसके पश्चात आमतौर पर सरकार की अहमियत विधायिका विधानसभा की अहमियत कम रही है। मगर पहली बार हरियाणा में बदलाव देखा जा रहा है और विधायिका को मजबूती प्रदान की जा रही है। ज्ञानचन्द गुप्ता ने स्पीकर बनने के बाद इसमें अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने विधानसभा में शिथिल पड़ी कमेटी को सक्रिय करने में पहल की है।
हरियाणा का 13 प्रतिशत हिस्सा पंजाब विधानसभा ने अपने कब्जे में ले रखा है। इसको लेकर भी स्पीकर ने अपनी आवाज बुलन्द की है तथा हरियाणा को उसका हिस्सा दिया जाए इसकी पैरवी कर रहे हैं। हरियाणा में जहां विधायकों के लिए ट्रेनिंग सत्र किया गया, वहीं कोरोना काल में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से विधायकों से बातचीत भी की गई।
विधानसभा की कमेटियों को सक्रिय करने के लिए इस बार अनुभवी विधायकों को कमान सौंपी गई है। ज्ञानचन्द गुप्ता ख्ुाद भी पिछली विधानसभा में 5 वर्ष तक लोकलेखा समिति (पीएपी) के अध्यक्ष भी रह चुके हैं तथा इनके अध्यक्ष रहते कमेटी के कार्यों के माध्यक्ष से प्रभावशाली विधायिका की भूमिका भी नजर आई। गुप्ता ने कमेटियों के महत्व को समझकर पुरानी धारणाओं को बदलकर डमी कमेटियंा न बनाने पर बल दिया है। क्योंकि अतीत में विधानसभा की ये कमेटियां केवल हाजिरी लगाने तथा विधायकों द्वारा भत्ता लेने तक सीमित हो चुकी थी।
पीएसी (लोक लेखा समिति) के अध्यक्ष रहते हुए ज्ञानचन्द गुप्ता ने आईएएस अधिकारियों की अनाधिकृत पद्दोन्नित के मामले में शिंकजा कसा था तथा पीएसी के निर्देश पर कई घोटालों में अधिकारियों व अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज हुए थे। पीएसी चेयरमैन रहते हुए ज्ञानचन्द गुप्ता की टीम के सदस्य घरौंडा से दूसरी बार विधायक बने। अनुभवी विधायक हरविन्द्र कल्याण को इस बार पीएसी कमेटी का चेयरमैन बनाया गया है। पूर्व में संसदीय सचिव रही सीमा त्रिखा को अर्बन बॉडी, कमल गुप्ता को विशेषाधिकार कमेटी, राज्यसभा के पूर्व सांसद ईश्वर सिंह एससी,एसटी कमेटी व दूसरी बार विधायक बने महिपाल ढांडा और असीम गोयल को भी विभिन्न कमेटियों में लिया गया है।