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हरियाणा: दरकता गठबंधन

“अगले चुनावों के मद्देनजर भाजपा-जजपा दोनों की अलग राह अपनाने की रणनीति” हरियाणा में भाजपा की 'डबल...
हरियाणा: दरकता गठबंधन

“अगले चुनावों के मद्देनजर भाजपा-जजपा दोनों की अलग राह अपनाने की रणनीति”

हरियाणा में भाजपा की 'डबल इंजन' सरकार के लिए मिशन 2024 डबल चुनौती बन गया है- पहली चुनौती जननायक जनता पार्टी (जजपा) से गठबंधन है और दूसरी, लगातार तीसरी बार जीत दर्ज करने का दबाव। ऐसे में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 18 जून को जजपा के गढ़ सिरसा की रैली में लोकसभा की सभी  दस सीटों पर भाजपा की जीत के दावे के साथ भविष्य में ‘एकला चलो’ का संकेत दे दिया। शाह की रैली के बाद दोनों ही दलों के नेताओं में आगामी चुनावों में गठबंधन के अस्तित्व को लेकर संशय गहरा गया है।

सिरसा की रैली के तीन दिन बाद 21 जून को दिल्ली में अमित शाह की भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ओपी धनखड़ और प्रदेश प्रभारी तथा त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री विप्लव देव के साथ करीब दो घंटे तक बैठक हुई, जिसके बाद धनखड़ ने कहा, ‘‘गठबंधन को लेकर दोनों दलों में कोई मतभेद नहीं है। बस जीत के मंत्र पर मंत्रणा हुई है।’’

दिल्ली की बैठक से पहले गुरुग्राम में मुख्यमंत्री खट्टर, धनखड़ और विप्लव देव की भाजपा के लोकसभा तथा राज्यसभा सांसदों के साथ बैठक हुई। उसमें कई सांसदों ने जजपा से गठबंधन पर भाजपा को नुकसान की आशंका जताई। उनका तर्क था कि भाजपा के अकेले चुनाव लड़ने पर जाट समुदाय का वोट कांग्रेस और जजपा में बंटने का फायदा मिलेगा।

मिशन 2024 की चुनावी जंग से पहले किसानों, पहलवानों और बेरोजगार नौजवानों के मुद्दों पर भाजपा और जजपा के शीर्ष नेताओं में छिड़ी जुबानी जंग से गठबंधन दरकने के आसार हैं। भाजपा प्रदेश प्रभारी विप्लव ने कहा कि भाजपा को समर्थन देकर जजपा ने कोई एहसान नहीं किया बल्कि उसके बदले उनके शीर्ष नेता उप-मुख्यंत्री दुष्यंत चौटाला समेत तीन मंत्री सरकार में हैं। फिर मुख्यमंत्री खट्टर ने कैथल की जनसभा में कहा कि ‘‘हरियाणा में सिर्फ भाजपा की ही सरकार है।’’ इन बयानों ने भी भाजपा-जजपा गठबंधन में दरार गहरी कर दी है।

दुष्यंत चौटाला ने आउटलुक से कहा, ‘‘साढ़े तीन साल के कार्यकाल में मैंने कभी नहीं कहा कि मेरी सरकार है, हमेशा हमारी सरकार कहा है। स्थिर सरकार के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में गठबंधन किया गया था जिसे लेकर कोई विवशता नहीं थी। आगे के गठबंधन पर दोनों पार्टियां बैठकर चर्चा करेंगी।’’

जजपा की चुनौती यह है कि उसके कुल 10 में से छह विधायक नाराज हैं। गठबंधन टूटने की आशंका के मद्देनजर भाजपा 7 निर्दलीय विधायकों में से 6 के लगातार संपर्क में है।

नारनौंद से वरिष्ठ विधायक रामकुमार गौतम सरकार और जजपा नेतृत्व पर निशाना साधते रहे हैं। नरवाना से विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा खुलकर मुख्यमंत्री खट्टर का गुणगान करते हैं। गुहला चीका से विधायक ईश्वर सिंह भी जजपा की गतिविधियों से दूरी बनाए हुए हैं। शाहाबाद से विधायक रामकरण काला ने शुगरफेड चेयरमैन पद से इस्तीफे की धमकी दी है। जजपा नेतृत्व ने दसों विधायकों की बैठक बुलाई थी, लेकिन इसमें छह विधायक ही आए। बैठक में शामिल न होने वाले नारनौंद से विधायक गौतम ने आउटलुक से कहा, ‘‘मेरा किसी से कोई गठबंधन नहीं है। जब गठबंधन हुआ था न तो तब हमसे पूछा गया था और न ही अब हमें पता है कि टूटेगा या चलेगा। यह किस चीज का गठबंधन है, सिर्फ लूट के लिए है और जनता ये जान चुकी है।’’

पिछले विधानसभा चुनाव में 90 में से 40 सीटों पर जीत दर्ज कर बहुमत से 6 सीटें दूर रही भाजपा ने 10 सीट वाली जजपा से गठबंधन किया, लेकिन अब राजनीतिक महत्वाकांक्षा और एक सीट पर दो बड़े चेहरों की दावेदारी के चलते दोनों के बीच दरार पैदा हो सकती है। मसलन, दुष्यंत चौटाला की उचानाकलां विधानसभा सीट और हिसार की लोकसभा सीट को लेकर ही अभी से बवाल मचा है। उचानाकलां से भाजपा के दिग्गज नेता तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता को दुष्यंत ने 2019 के विधानसभा चुनाव में हराया था। 2014 के चुनाव में भाजपा विधायक बनी प्रेमलता की इस परंपरागत सीट को 2024 के विधानसभा चुनाव में बदलना भाजपा के लिए आसान नहीं है। विप्लव देव ने साफ कहा कि उचानाकलां से 2024 में पार्टी के टिकट पर प्रेमलता चुनाव लड़ेंगी।

हिसार संसदीय सीट से 2019 में बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह के खिलाफ आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन में जजपा के उम्मीदवार के तौर पर दुष्यंत चौटाला मैदान में थे। 2024 के लिए जजपा हिसार से दिग्विजय चौटाला को उतारने की तैयारी में है। इस सीट को लेकर बीरेंद्र सिंह ने कहा कि हिसार लोकसभा उम्मीदवार मौजूदा सांसद बृजेंद्र सिंह ही रहेंगे।

जजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजय चौटाला ने आउटलुक से कहा, ‘‘लगातार तीसरी बार कांग्रेस को हरियाणा की सत्ता से दूर रखने के लिए भाजपा-जजपा गठबंधन जरूरी है। अगले चुनाव के लिए भाजपा आलाकमान की मध्यस्थता से सीटों के बंटवारे पर सहमति से आगे की रणनीति जल्द ही तय होगी।’’

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