संसद में पास हुए तीन कृषि विधेयकों के विरोध में मंगलवार को सिरसा में किसान संगठनों के आह्वान पर हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला एंव बिजली मंत्री रणजीत सिंह चौटाला के घरों को घेराव करने बड़ी संख्या में यहां किसानों की भीड़ उमड़ी है।
17 किसान संगठनों के आह्वान पर किसान सिरसा में दुष्यंत चौटाला के घर का घेराव करने वाले किसानों की अगुवाई स्वराज इंडिया के योगेंद्र यादव और अखिल भारतीय संघर्ष समन्वय समिति के अध्यक्ष वीएम सिंह ने की।
योगेन्द्र यादव ने दुष्यंत चौटाला से 10 सवाल पूछते हुए कहा कि दुष्यंत के पास किसानों के सवालों के जवाब नहीं तो वे इस्तीफा दें। उन्होंने कहा कि भाजपा से किसानों की उम्मीद थी ही नहीं मगर जजपा को किसानों ने दिल खोल कर वोट दिया था कि वह देवीलाल का वंशज है, किसानों के हित के लिए मजबूती से खड़ा होगा। आज जब किसान पहले से ही बदहाल है, अनेक फसलों पर एमएसपी मिलता नहीं है। किसानों पर सरकार कानून का सहारा लेकर बड़ा हमला कर रही है और दुष्यंत चौटाला सत्ता से चिपके है।
किसान संगठनों की मांग है कि भाजपा को समर्थन दे रहे जजपा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला अपना इस्तीफा दें और समर्थन वापिस लें। दुष्यंत के दादा बिजली मंत्री रणजीत सिंह के इस्तीफे की भी मांग भी की जा रही है। केंद्र सरकार की ओर से हाल ही में पास किए गए तीन कृषि बिलों के विरोध में मंगलवार को किसान संगठन डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला और बिजली मंत्री रणजीत सिंह के आवास का घेराव करने पहुंचे। किसानों को रोकने के लिए पुलिस ने पूरे इलाके को नाके लगाकर सील कर दिया था लेकिन फिर भी किसानों ने तमाम नाके तोड़कर आगे बढ़ने का प्रयास किया।
उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला और बिजली मंत्री रणजीत सिंह चौटाला के घर से 100 मीटर दूर पर ही किसानों को रोकने का प्रबंध किया गया था। सुरक्षा के लिए 16 ड्यूटी मजिस्ट्रेट नियुक्त किए थे लेकिन किसान सैकड़ों की संख्या में पहुंचे और बैरिकेड्स को तोड़ने का प्रयास किया। करीब 2 हजार से अधिक पुलिस कर्मी सुरक्षा का जिम्मा संभाले हुए थे। जिनमें 10 डीएसपी और 28 इंस्पेक्टर भी तैनात थे। केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन कृषि अध्यादेश के विरोध में उपमुख्यमंत्री एवं बिजली मंत्री के घेराव कर रहे किसानों की मांग है कि दोनों मंत्री सरकार से समर्थन वापिस लें। इसके अलावा केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ सड़कों पर अपना गुस्सा उतार रहे हैं।
उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला से किसान संगठनों के 10 सवाल:
1. क्या आपने या आप की पार्टी ने आज तक इन तीन कानूनों जैसे किसी बदलाव या लाने की मांग की थी?
2. क्या भाजपा सरकार ने अध्यादेशों को लाने से पहले या उसके बाद आपकी पार्टी की राय ली थी?
3. क्या इन तीनों कानूनों का कोरोनावायरस या लॉकडाउन से कोई संबंध था? नहीं तो इन्हें इस महामारी के बीच अध्यादेश के जरिए क्यों लाया गया?
4. राज्यसभा में बिना वोट के जिस तरह से इन कानूनों को पास किया गया क्या उसका समर्थन करते हैं?
5. अगर इन कानूनों से एमएससी को कोई खतरा नहीं है तो क्यों नहीं MSP को कानून में शामिल कर लिया जाता?
6. आवश्यक वस्तु कानून में बदलाव कर कम्पनियों को जमाखोरी की खुली छूट देने से किसान को क्या व कैसे फायदा होगा? क्या कम्पनियां को किसान व कंज्यूमर दोनों को लूटने का अधिकार दिया गया है?
7. बिना टेक्स दिए कम्पनियों को मंडी से बाहर खरीद की छूट और मंडी में खरीददार पर भारी टेक्स क्या मंडी को खत्म करने का एजेंडा नहीं है? क्या इससे किसान खुली मंडी में बोली लगाकर फसल बेचने से वंचित नहीं होगा? फसल खरीददार पर टैक्स से किसानों को जो सड़कों जैसी सुविधा मिलती है वह खत्म न होगी?
8. फसल पकने से पहले कम्पनियों से एग्रीमेंट के नाम पर किसान से दस्तखत करवाना उसकी अपनी लूट पत्र पर मोहर लगवाना न होगा ? क्या किसान बड़ी कम्पनियों से हक ले भी पायेगा?
9. दुष्यंत जी आप बार बार कह रहे हैं कि राज्य में हर फसल एमएसपी पर बिकेगी। फिर एमएसपी पर खरीद का कानून या सरकारी आदेश क्यों नहीं जारी हुआ ? इस वक्त आपकी आंख के सामने फसलें एमएसपी पर बिक नहीं रही, ऐसा क्यों ? फिर भी क्यों आप कुर्सी से चिपके हैं ?
10. जब देश में एक भी किसान संगठन या किसान नेता इन कानूनों के समर्थन में बोलने को तैयार नहीं तब चौधरी देवी लाल का वंशज इनकी ढाल बनकर क्यों खड़ा हुआ है?