चंडीगढ़, राज्य सभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने हरियाणा सरकार से मांग करी कि अप्रैल और मई के महीने में अब तक प्रदेश में कुल कितनी मौतें हुई हैं उसका सर्वे कराकर सरकार आंकड़ा सार्वजनिक करे। इन आंकड़ों को सरकार वेबसाईट पर डाले ताकि हर व्यक्ति देख सके कि उसके गांव में सरकार ने कितनी मौतें दर्ज की हैं और वास्तव में कितने लोगों की मृत्यु हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार सही आंकड़ा पेश नहीं कर रही है। सरकारी दावों और वास्तविकता में रात-दिन का अंतर है। उन्होंने सवाल किया कि सरकार यदि मौत के आंकड़े छुपाती रही तो कोरोना की तीसरी लहर से लड़ाई कैसे लड़ेंगे? उन्होंने कहा कि सरकार अगर वास्तविकता को छुपायेगी और कोरोना से लड़ने की सही तैयारी नहीं करेगी तो तीसरी लहर में और बुरे हालात हो जायेंगे। दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि मौतों के आंकड़े छुपाने या उनको कम करके बताने से और टेस्टिंग कम कराकर कोरोना के खिलाफ लड़ाई नहीं जीती जा सकती। कोरोना का मुकाबला स्वास्थ्य सेवाओं में बढ़ोत्तरी और बुनियादी ढांचे को सुधार कर ही किया जा सकता है। वैक्सीन, ऑक्सीजन, दवाई, हास्पिटल के पर्याप्त प्रबंध से ही कोरोना के खिलाफ लड़ाई जीती जा सकती है।
दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि हरियाणा का आम आदमी ये मानता है कि कोरोना से रोजाना जितनी बड़ी संख्या में मौतें हो रही है उस हिसाब से सरकार सही आंकड़े नहीं बता रही है। बल्कि कोरोना से हुई मौतों के आंकड़ों को जनता से छुपाया जा रहा है। लोगों को आशंका है कि सरकार मौत के जो आंकड़े बता रही है उससे कई गुना अधिक संख्या में मौतें हो रही हैं। इसलिये सरकार पूरे प्रदेश में कोरोना से हुई मौतों, कोविड प्रोटोकॉल से हुए अंतिम संस्कार के आंकड़े वेबसाईट पर डाले। लोग इस बात को जानना चाहते हैं कि चिकित्सा सुविधाओं की कमी से पिछले डेढ़ महीने में हरियाणा के कितने नौजवान, बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे अपनी जान गंवा चुके।
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार की खबरें लगातार आ रही हैं उनसे स्पष्ट है कि गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार आदि राज्यों में बड़ी संख्या में कोरोना से हुई मौतों की बात उजागर हुई है। गुजरात समेत कई राज्यों के अखबार लगातार दिखा रहे हैं कि किस तरह सरकारी और असली आंकड़ों में बड़ा अंतर है। गुजरात सरकार के दावों के मुताबिक इस साल 1 मार्च से लेकर 10 मई के बीच प्रदेश में कोरोना से केवल 4000 मौतें की दिखाई गयी जबकि, एक गुजराती अख़बार के अनुसार इन 71 दिनों में राज्य में करीब 1.23 लाख डेथ सर्टिफिकेट जारी हुए। इसी प्रकार उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार तक सरकारी दावों के विपरीत बड़ी संख्या में शव नदियों में तैर रहे है। हरियाणा में भी अगर ईमानदारी से सर्वे कराया गया तो पिछले डेढ़ महीनों में कोरोना से मरने वालों की संख्या बेहद चिंताजनतक तो होगी, लेकिन ऐसा करने से सरकार को सरकार को स्वास्थ्य सेवाओं में अपनी कमियों को दूर करने का मौका मिलेगा। बिल्ली को देखकर आंख बंद करने से कबूतर नहीं बचेगा, जान बचाने के लिये उसे प्रयास करना होगा।