न मंडियों में ढंग से फसलों की ख़रीद हो रही है और ना ही किसान को एमएसपी मिल रही है। ना किसान को गेट पास मिल रहा, ना फसल रखने के लिए जगह। ना मंडी में बारदाने की व्यवस्था है, ना उठान की। ना मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल ढंग से चल रहा और ना ही नमी नापने की मशीन ढंग से चल रही। पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा शाहबाद, पीपली, पानीपत, समालखा मंडियों के दौरे पर निकले हैं।
शाहबाद के बाद पीपली पहुंचे भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि अनाज मंडियों में हर जगह अव्यवस्था और सरकारी अनदेखी नज़र आती है। ऐसा लगता है जैसे अन्नदाता को जानबूझकर परेशान किया जा रहा है। क्योंकि इस वक्त धान की आवक ज़ोंरों पर है लेकिन सरकारी ख़रीद शुरू होने के 2 हफ्ते बाद भी प्रदेश सरकार एक वेब पोर्टल तक ठीक नहीं चला पाई। चंद सेकेंड में जिस तकनीकी ख़ामी को दूर किया जा सकता है, उसको दूर करने में इतने दिन लगाए जा रहे हैं। कभी पोर्टल के ना चलने तो कभी नमी का बहाना बनाकर किसानों को परेशान किया जा रहा है। नमी नापने वाली मशीनों को लेकर भी लगातार शिकायतें सामने आ रही हैं। कई-कई दिनों से किसान मंडियों में डेरा डाले बैठे हैं लेकिन उनकी ख़रीद नहीं की जा रही है। मजबूरी में किसानों को धान सड़क पर डालना पड़ रहा है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि फसलों की आवक के मुक़ाबले अब तक बमुश्किल 5 से 10% फसलों की ही ख़रीद हुई है। बाकी फसलों को किसान मजबूरी में ओने-पौने दाम पर प्राइवेट एजेंसियों को बेच रहा है। जिन किसानों की सरकारी ख़रीद हुई है, उन्हें अभी तक पेमेंट नहीं दी गई है। सरकार को चाहिए कि वो जल्दी से जल्दी धान, बाजरा, मक्का और कपास की ख़रीद करे और उन्हें एमएसपी का लाभ दे। इतना ही नहीं जिन किसानों ने मजबूरी में कम रेट पर अपनी फसल बेची है, उनकी भरपाई भी सरकार को करनी चाहिए।
हुड्डा ने कहा कि 3 नए कृषि क़ानून लागू करके सरकार ने प्राइवेट एजेंसियों को खुली लूट की इजाज़त दे दी है। ये एजेंसियां सरकारी अव्यवस्था का फ़ायदा उठाकर किसान की धान को 500 से 1000 रुपए कम रेट पर ख़रीद रही हैं। इसी तरह मक्का किसानों को भी प्रति क्विंटल 1000 से लेकर 1200 रुपये तक की चपत लगाई जा रही है। यही हाल बाजरा और कपास का है।