लाहुल स्पिती के चंद्रताल झील में पर्यटकों के लिए आवाजाही पूर्ण रूप से बन्द कर दी है। चंद्रताल हिमाचल प्रदेश की एक आकर्षक झील है, जो लाहौल-स्पीति जिले के अंतर्गत समुद्र तल से 4250 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
विश्व के सबसे लंबे अटल रोहतांग टनल खुलने के बाद स्पीति और चंद्रताल पर पर्यटकों की संख्या बहुत अधिक बढ़ गई थी।क्यूंकि अब इस क्षेत्र में बर्फबारी आरंभ हो गई है स्थानीय प्रशाशन ने पर्यटकों की आवाजाही पर रोक लगा दी है
स्पीति के एडीएम ज्ञान सागर नेगी ने बताया कि बर्फबारी के चलते यहां चन्द्र ताल झील यात्रा बन्द कर दी है । क्यूंकि बर्फबारी के कारण चन्द्र ताल झील तक रास्ता काफी खराब हो जाता है ऐसे पर्यटकों को कई मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। आदेशानुसार चन्द्र ताल झील तक किसी को जाने नहीं दिया जाएगा। ये आदेश आगामी आदेश तक जारी रहेंगे।
इस झील का आकार अर्धचांद की तरह है, इसलिए इसका नाम चंद्रताल पड़ा यानी चांद की झील। यह एक साफ पानी की झील है, जिसका पानी शीशे की तरह चमकता है और पूरी तरह प्रदूषण मुक्त है। माना जाता है कि झील का यह क्षेत्र कभी स्पीति और कुल्लू जाने वाले तिब्बत और लद्दाखी व्यापारियों का महत्वपूर्ण स्थल हुआ करता था। लेकिन अब यह झील पूरे विश्व को अपनी ओर आकर्षित करती है।
जनजातीय मंत्री और लाहौल स्पीति के विधायक डॉ रामलाल मार्कण्डेय के मुताबिक इस झील से एक पौराणिक किवदंती भी जुड़ी है । माना जाता है कि यह वो स्थान है जहां भगवान इंद्र के रथ ने युधिष्ठिर को उठाया था, युधिष्ठिर पांच पांडवों में से सबसे बड़े थे।चंद्रताल की यात्रा आपके लिए कई मायनों में खास हो सकती है। यह एक आकर्षक झील है, जिसका चमचमाता पानी पर्यटकों को काफी ज्यादा आनंदित और रोमांचित करता है। यह झील पहाड़ियों और बर्फीली चोटियों से घिरी है, जो आपको काफी ज्यादा उत्साहित करने का काम करेंगी।
इसके अलावा चंद्रताल लेक साहसिक ट्रेकिंग के लिए भी जानी जाती है। दूर-दूर से ट्रैवलर यहां ट्रेकिंग का रोमांच भरा आनंद लेने के लिए आते हैं। हैम्पटा पास से चंद्रताल एक प्रसिद्ध ट्रेक है। इस मार्ग में सफर के दौरान आप शानदार पहाड़ी आकर्षणों का आनंद ले सकते हैं। झील के आसपास आप कैंपिग का आनंद भी ले सकते हैं।