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पंजाब-हरियाणा: बाढ़ में राजनीति लीला

  “भारी बारिश और बाढ़ से हुई जबरदस्त तबाही के बीच नेताओं के अपने-अपने राजनीतिक दांव” भारी बारिश से...
पंजाब-हरियाणा: बाढ़ में राजनीति लीला

 

“भारी बारिश और बाढ़ से हुई जबरदस्त तबाही के बीच नेताओं के अपने-अपने राजनीतिक दांव”

भारी बारिश से उत्तर भारत के कई इलाके बाढ़ की चपेट में आ गए। पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के नदी, नाले और बांधों में जल सैलाब ने तबाही मचा दी। पहाड़ों से लेकर मैदानी इलाकों में बाढ़ ने कहर ढाया। सैकड़ों जानें चली गईं। अनगिनत लोग पलभर में बेघर हो गए। धान, मक्का, कपास, पशुओं के चारे और सब्जियों की फसलों की भारी तबाही से बेजार लाखों किसानों को सरकारी मुआवजे का इंतजार है। कई गांव, शहर सड़क मार्ग से कट गए। चंडीगढ़-कालका-शिमला राष्ट्रीय राजमार्ग, चंडीगढ़-मनाली सड़क मार्ग ध्वस्त हो गए। रेलवे के मुख्य जक्शन अंबाला कैंट के ट्रैक बाढ़ की चपेट में होने से करीब दो दर्जन रूटों पर गाड़ियों की आवाजाही प्रभावित हुई। 9 से 13 जुलाई तक पंजाब, हरियाणा में स्कूल बंद रहे।

पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में 8 से 10 जुलाई के बीच भारी बारिश ने पिछले 30 साल के मानसून का रिकॉर्ड 48 घंटे में ध्वस्त कर दिया। मानसून में अमूमन 700 से 850 मिलीमीटर की बारिश होती है। इस बार 48 घंटे में ही बारिश 500 मिलीमीटर का आंकड़ा पार कर गई। बारिश ने देश की पहली स्मार्ट सिटी ब्यूटीफुल चंडीगढ़ की भी पोल खोल दी। सुखना झील में पानी खतरे का निशान पार कर गया तो फ्लड गेट खोलने का खमियाजा पड़ोस के जीरकपुर और डेराबस्सी के लोगों को भुगतना पड़ा। 1680 फुट की क्षमता वाले भाखड़ा बांध का जलाशय रणजीत सागर का जलस्तर 1650 फुट पर रहा जबकि 1390 फुट की जल क्षमता वाले पोंग बांध का जलस्तर 1365 फुट पर पहुंच गया।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पंजाब के कुल 14 जिलों में सबसे ज्यादा बाढ़ का प्रकोप रोपड़ जिले में हुआ। राज्य में 1058 गांव बाढ़ की चपेट में आए। रोपड़ के 364, साहिबजादा अजीत सिंह नगर के 268, पटियाला के 250, जालंधर के 71, मोगा के 30, होशियारपुर के 25, लुधियाना के 16, फिरोजपुर और संगरूर के 3 तथा तरनतारन के 6 गांव प्रभावित हैं। सरकार के मुताबिक 49 घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हुए और 180 घरों को आंशिक नुकसान हुआ। बाढ़ग्रस्त इलाकों से 10,000 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका है। हरियाणा के 13 जिलों में बाढ़ का प्रकोप सबसे ज्यादा पंचकूला, अंबाला, यमुनानगर, करनाल, कुरूक्षेत्र, पानीपत और सोनीपत में दिखा। राज्य के करीब 250 गांव चपेट में आए। अंबाला के बाढ़ग्रस्त इलाकों में घरों में पानी घुसने से चार दिनों तक लोगों को गुरुद्वारों, मंदिरों और धर्मशालाओं में शरण लेनी पड़ी। यहां के बलदेव नगर, धूलकोट इलाकों के कई परिवारों ने छतों पर दिन गुजारे।

बाढ़ग्रस्त इलाकों का हवाई जायजा लेते हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर

बाढ़ग्रस्त इलाकों का हवाई जायजा लेते हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर

13 जुलाई तक के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक हिमाचल में 80, पंजाब में 18 और हरियाणा में 10 लोग बाढ़ की चपेट में आकर जान गंवा बैठे। मृतकों के परिजनों में प्रत्येक के परिवार को चार लाख रुपये मुआवजे का ऐलान हुआ है। राहत और बचाव कार्य के लिए सेना, एनआरडीएफ की 14 टीमों, राज्य पुलिस और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) जैसी दर्जनों स्वयंसेवी संस्थाओं ने मोर्चा संभाल रखा है। नुकसान का जायजा लेने हेलीकॉप्टरों में सवार मुख्यमंत्रियों के हवाई सर्वेक्षण जारी हैं तो ट्रैक्टरों पर सवार विपक्ष के नेता भी सक्रिय हैं। इस बीच कुछेक लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने अपनी जान-माल की परवाह किए बगैर बाढ़ पीडि़तों की मदद कर मिसाल कायम की है।

पंजाब के फतेहगढ़ साहिब में 11 जुलाई की सुबह करीब नौ बजे बाबा बंदा बहादुर कॉलेज के निकट 12-15 फुट बाढ़ के पानी में घिरे 27 साल के युवक को बचाने खमानों के एसडीएम संजीव कुमार खुद कूद गए। साढ़े दस बजे तक एनआरडीएफ टीम पहुंचनी थी। उससे पहले डूबते युवक को इस पीसीएस अफसर ने अपनी जान पर खेल कर बचाया। हरियाणा के गृह तथा स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के अंबाला में शास्‍त्रीनगर के घर में बाढ़ घुस आई, लेकिन विज लोगों की मदद में जुटे रहे। बाढ़ की चपेट में टूटे सतलुज नदी के किनारे बांधने में जालंधर के सांसद सुशील रिंकू 14 घंटे तक संत बलबीर सिंह सिंचेवाल की टीम के साथ डटे रहे। ऐसे और भी कई सारे लोग हैं जो आपदा की इस घड़ी में मिसाल बने।

इसके बावजूद डिजिटल ‘न्यू इंडिया’ के नीति-निर्माताओं में अंधविश्वास अब भी कायम है। भाजपा के वरिष्ठ नेता पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के राजसी परिवार ने अपने शहर पटियाला को बाढ़ से बचाने का पुराना टोटका इस बार भी आजमाया। 11 जुलाई को अमरिंदर सिंह की सांसद पत्नी परणीत कौर और बेटी जयइंद्र कौर ने राजपुरोहितों और शाही ग्रंथी की मौजूदगी में बाढ़ से उफनती घग्गर (बड़ी नदी) को शांत करने के लिए नदी को सोने की नथ और चूड़ा चढ़ाया। परणीत कौर ने आउटलुक से कहा, ‘‘यह परंपरा पटियाला रियासत के संस्थापक बाबा आला सिंह के वक्त से चली आ रही है। पटियाला में बाढ़ की सबसे बड़ी वजह घग्गर है और जब उसके लिए नथ और चूड़े की रस्म निभाई जाती है तो बाढ़ का प्रकोप खत्म होने लगता है।’’

उफनती घग्गर को शांत करने के लिए राजसी परिवार की परणीत कौर ने नदी को सोने की नथ और चूड़ा चढ़ाया

उफनती घग्गर को शांत करने के लिए राजसी परिवार की परणीत कौर ने नदी को सोने की नथ और चूड़ा चढ़ाया

इससे पहले 1993 में पटियाला में बाढ़ आई तो कैप्टन अमरिंदर सिंह लंदन में थे। तब की सरकार ने उन्हें बड़ी नदी के लिए नथ और चूड़े की रस्म अदायगी के लिए पटियाला लौटने को कहा था। 1988 में भी पटियाला में बाढ़ के समय कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बड़ी नदी जाकर नथ और चूड़ा चढ़ाया था।

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मई में आला अधिकारियों की एक विशेष बैठक में बरसाती नालों की सफाई, पुराने पुलों की मरम्मत करने के निर्देश दिए थे, लेकिन सबकी पोल बाढ़ ने खोल दी। नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा के मुताबिक, ‘‘उस बैठक के एजेंडे को दिल्ली से आए केजरीवाल के एजेंटों ने लागू नहीं होने दिया। केजरीवाल की कोर टीम नहीं चाहती कि पंजाब के मुख्यमंत्री लोकप्रिय हों। मानसून में बाढ़ की रोकथाम के काम तीन महीने पहले शुरू हो जाने चाहिए थे लेकिन जुलाई के पहले हफ्ते तक कोई काम शुरू नहीं किए गए। शहरों के बरसाती नाले तक साफ नहीं हुए।’’

यमुना का जलस्तर बढ़ने से हथ‌िनीकुंड बैराज से छोड़े गए तीन लाख क्यूसेक पानी ने दिल्ली के कई इलाकों को बाढ़ से प्लावित कर दिया। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बाढ़ग्रस्त इलाकों का हेलीकॉप्टर से हवाई सर्वेक्षण किया तो ट्रैक्टर पर सवार होकर उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला बाढ़ पीडि़तों के बीच पंहुचे। नेता प्रतिपक्ष तथा पूर्व मुख्यमंत्री भुपेंद्र सिंह हुड्डा खुद ट्रैक्टर चलाकर बाढ़ग्रस्त इलाकों में पहुंचे।

यह चुनावी साल है। 2024 की शुरुआत में लोकसभा चुनाव होने हैं और साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने तय हैं, लिहाजा बाढ़ग्रस्त इलाकों के दौरों पर निकले नेताओं की ‘रील’ की सोशल मीडिया पर बाढ़ आई हुई है। राजनीति का खेल निराला है।

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