पंजाब में किसानो द्वारा चलाये जा रहे प्रदर्शन ने कल एक नया मोड़ ले लिया| सात महीने से किसानों के चल रहे धरना प्रदर्शन की वजह से अडानी ग्रुप ने पंजाब के किलारायपुर स्थित अपने आईसीडी परिचालन को बंद करने का निर्णय लिया है| प्रदेश के इतिहास में पहली बार किसी उद्योग ने कोर्ट में याचिका दायर करके अपने अधिकारों के हनन का हवाला दे कर कहा कि वो अपना व्यापार बंद कर रहे हैं| अडानी ग्रुप ने किलारायपुर स्तिथ अपने आईसीडी लोजिस्टिक्स पार्क बंद करने का निर्णय निर्णय लेते पंजाब तथा हरियाणा हाई कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल कर कहा कि राज्य सरकार और न्यायालय दोनों की तरफ से उसे पिछले सात महीनो में कोई भी राहत नहीं मिली। जिसके चलते वो अब और नुक्सान उठाने की परिस्थिति में नहीं है|
गौरतलब है की अडानी ग्रुप ने किलारायपुर में अपने आईसीडी की शुरुआत 2017 में की थी और इसका उद्देश्य था, लुधियाना और पंजाब में अन्य जगहों पर स्थित उद्योगों की रेल तथा सड़क मार्ग से माल आवा-जाही की सुविधा प्रदान करना। इस लोजिस्टिक्स पार्क का कार्य अडानी ग्रुप को सरकार द्वारा चलाये गए एक खुली और प्रतिस्पर्धामत्मक बोली के बाद आवंटित किया गया था| किन्तु जनवरी 2021 के बाद से ही यहाँ का कार्य ठप्प पड़ा हुआ है| जनवरी के महीने में किसानो ने इस लोजिस्टिक्स पार्क के बहार धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया और ट्रेक्टर ट्राली लगा कर कर्मचारियों और सामान के आने -जाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया।
कोर्ट में दाखिल किये गए हलफनामे में अडानी ग्रुप ने साफ़ साफ़ कहा की वो अब और नुक्सान उठाने की परिस्थिति में नहीं है और अपने ICD ऑपरेशन्स को बंद करने के लिए प्रतिकात्मतक रूप से उसने अपने साइन बोर्ड इत्यादि को ICD से हटा दिया है| याचिका में ये भी कहा गया की पिछले सात महीनो में इस लोजिस्टिक्स पार्क से कोई भी व्यावसायिक कार्य नहीं हो पाया है, लेकिन अडानी ग्रुप ने लोगों की तनख्वाह को चालू रहने दिया तथा संस्थान के मेंटेनेंस का खर्चा भी उठाती रही|
कोर्ट के आदेशनुसार राज्य सरकार के अधिकारीयों ने न्यायालय के समक्ष कई बार स्टेटस रिपोर्ट दायर की लेकिन नाकाबंदी हटाने में पूरी तरह से विफल रहे हैं। सूत्रों के अनुसार कंपनी ने कल दायर किये गए हलफनामे में यह भी कहा की राज्य सरकार नाकाबंदी हटाने में विफल रहा है और माननीय न्यायालय भी इस मुद्दे का कोई निर्णय नहीं ले पा रहा जिसकी वजह से याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकारों का भी हनन हो रहा है|
इस लोजिस्टिक्स पार्क के बंद होने से अमूमन प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 400 व्यक्तियों/परिवारों को नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा। रेल ढुलाई, जीएसटी, सीमा शुल्क और अन्य करों के रूप में 700 करोड़ रुपये और कुल आर्थिक असर के रूप में लगभग 7000 करोड़ रुपये का सरकारी खजाने को भी नुकसान होगा।