दिवाली से पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब में सियासी धमाका कर दिया है। मंगलवार को उन्होंने औपचारिक तौर पर कांग्रेस छोड़ दी। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे 7 पन्नों के इस्तीफे में उन्होंने अपने पूरे सियासी सफर का जिक्र किया है। अमरिंदर ने कांग्रेस हाईकमान के साथ नवजोत सिद्धू पर भी सवाल खड़े किए।
अमरिंदर ने 18 सितंबर को पंजाब के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था। इसके बाद ही उन्होंने कांग्रेस छोड़ने की घोषणा कर दी थी। मंगलवार को उन्होंने अपनी नई पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस की घोषणा कर दी। अमरिंदर पहले ही कह चुके हैं कि वे पंजाब में सभी 117 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। इसके लिए पहले किसान आंदोलन का हल निकलवाएंगे। उसके बाद भाजपा और अकाली दल के बागी नेताओं से गठजोड़ करेंगे। हालांकि कांग्रेस ने कैप्टन को मनाने की कोशिश भी की थी, लेकिन वे नहीं माने।
अमरिंदर ने नवजोत सिद्धू को पंजाब कांग्रेस प्रधान बनाने पर भी बड़े सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि मेरे और पंजाब के सभी सांसदों के विरोध के बावजूद सिद्धू को जिम्मेदारी दी गई। उन्होंने सिद्धू को पाक परस्त करार देते हुए कहा कि उन्होंने सार्वजनिक तौर पर पाकिस्तान के आर्मी चीफ और प्रधानमंत्री इमरान खान को गले लगाया। यह दोनों ही भारत में आतंकवाद फैलाने के लिए जिम्मेदार हैं।
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 1977 में कांग्रेस जॉइन की थी। इसके बाद 1978 में लोकसभा चुनाव लड़ सांसद बने। ऑपरेशन ब्लू स्टार के विरोध में उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी थी। इसके बाद वह अकाली दल में चले गए। इसके बाद राजिंदर कौर भट्ठल ने उन्हें 1998 में कांग्रेस जॉइन करवा दी। इसके बाद 1999 से 2002 तक अमरिंदर प्रधान रहे।
इसके बाद 2002 से 2007 तक सीएम रहे। 2009 में कैंपेन कमेटी चेयरमैन और 2010 से 2013 तक प्रधान रहे। उसी दौरान 2012 में विधानसभा चुनाव हारे। इसके बाद 2014 से 2015 तक सांसद बने और लोकसभा में डिप्टी लीडर रहे। 2015 से 2017 तक फिर पंजाब कांग्रेस के प्रधान बने। इसके बाद 2017 में चुनाव लड़कर फिर मुख्यमंत्री बने।
कैप्टन अमरिंदर सिंह के कांग्रेस छोड़ने और नई पार्टी के ऐलान से हड़कंप मच गया है। कैप्टन के दांव से पंजाब कांग्रेस में स्थिति संभालने का दौर शुरू हो गया है। इसके लिए पंजाब भवन में कांग्रेस की करीब 3 घंटे की मीटिंग चली। इसकी अगुवाई चरणजीत चन्नी, नवजोत सिद्धू और पंजाब इंचार्ज हरीश चौधरी कर रहे हैं। इसमें पंजाब सरकार के सभी मंत्रियों और विधायकों को बुलाया गया है। हालांकि, इसे अगले चुनाव के लिए रणनीति बनाने के नाम पर बुलाया गया है।
मीटिंग के बाद सिद्धू ने सिर्फ ऑल इज वेल कहा और उसके बाद वहां से रवाना हो गए। वहीं, हरीश चौधरी ने कहा कि पंजाब में कांग्रेस अगली सरकार बनाएगी। कांग्रेस एकजुट है। कैप्टन के इस्तीफे पर उन्होंने कहा कि उस पर पार्टी की आंतरिक नीति के हिसाब से फैसला लिया जाएगा। कैप्टन के जाने से नुकसान पर चौधरी ने कहा कि हम सिर्फ पंजाब की भलाई की सोच रहे हैं।
पंजाब में कांग्रेस की चिंता यह है कि कैप्टन अमरिंदर के साथ कौन-कौन से विधायक जा सकते हैं। कहीं ऐसा न हो कि पंजाब में सरकार को खतरा पैदा हो जाए। अमरिंदर खेमा कई बार कह चुका है कि 10 से 15 विधायक कैप्टन के साथ हैं। ऐसे में कहीं अचानक कांग्रेस सरकार फिर से बगावत में न फंस जाए, इसे रोकने के लिए अब यहां चर्चा की जा रही है।
सबसे बड़ी चिंता रेत माफिया में कांग्रेसी मंत्रियों के शामिल होने का आरोप है। अमरिंदर ने कहा कि उनके पास इनकी लिस्ट है, जो सरकार और इंटेलिजेंस ने उन्हें दी है। अगर अमरिंदर उनका नाम सार्वजनिक कर देते हैं तो कांग्रेस के भीतर हालात बिगड़ सकते हैं। नवजोत सिद्धू पहले ही हमलावर हैं और यही आरोप लगा उन्होंने कैप्टन की कुर्सी छीन ली। अब अगर कैप्टन नाम सार्वजनिक करेंगे तो कांग्रेस को सफाई देने का भी वक्त नहीं मिलेगा। इसलिए अभी सभी को पार्टी के साथ एकजुट रहने के लिए मनाया जा रहा है।