पंजाब की राजनीति में कैप्टन अमरिंदर सिंह और कांग्रेस को लेकर नई चर्चाएं शुरू हो गई है। इसके लिए पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी खुुद सक्रिय हाे गई हैं। अपनी पार्टी बनाने की घोषणा कर चुके कैप्टन अमरिंदर सिंह को कांग्रेस अब भी मनाना चाहती है। कांग्रेस नहीं चाहती है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस छोड़े। अभी तक कांग्रेस ने कैप्टन के तीखे बयानबाजी के बावजूद उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया है।
कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस से नाता तोड़कर नई सियासी राह पर चलने को अडिग हैं। यही कारण है कि कैप्टन भाजपा के साथ अपनी नजदीकी बढ़ा रहे हैं। कांग्रेस को डर है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह अगर अपनी पार्टी बनाते है तो उसे पंजाब में काफी नुकसान हो जाएगा। विधानसभा चुनाव तक पार्टी इस डैमेज को कंट्रोल नहीं कर पाएगी। कैप्टन को मनाने का प्रयास खुद सोनिया गांधी की तरफ से ही किया जा रहा है। वहीं, कैप्टन के पार्टी बनाने की घोषणा के साथ दिल्ली में कांग्रेस खेमे में भी खासी हलचल देखी जा रही है।
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 27 अक्टूबर को अपनी प्रेस कांफ्रेंस में अपने अगले सियासी कदम के बारे में साफ कर दिया था। अपने खिलाफ बगावत की चर्चा करते हुुए कैप्टन ने कहा था, जब पार्टी हाईकमान ने ही उन्हें बदलने का मन बना लिया तो बाकि तब तो बहाना था।
कैप्टन ने 28 अक्टूबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करने की बात की थी। यह बैठक भी नहीं हो पाई है। बताया जाता है कि अमित शाह की व्यस्तता के कारण यह टल गई और दोनों नेताओं की मुलाकात जल्द होने की संभावना है। इस बीच कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी अब भी नहीं चाहती है कि कैप्टन किसी भी सूरत में पार्टी छोड़ें।
पार्टी को यह फीडबैक है कि इससे 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव में उसकी राह मुश्किल हो जाएगी। वहीं, अगर कैप्टन अमरिंदर सिंह के रूप में भाजपा को बैठे-बिठाए एक बड़ा सिख चेहरा मिल जाएगा, जिसकी राष्ट्रीय स्तर पर पहचान है। ऐसे में कांग्रेस वह मंत्र निकालना चाहती है कि किसी भी तरह से कैप्टन को पार्टी में ही रोक कर रखा जाए।
कैप्टन अमरिंदर सिंह जिस प्रकार से नवजोत सिंह सिद्धू से खिन्न है ऐसे में पार्टी को दोनों में से किसी एक को ही चुनना होगा, क्योंकि एक म्यान में दो तलवार नहीं रह सकती है। कैप्टन अमरिंदर सिंह तो पहले ही चुनौती दे चुके हैं कि सिद्धू पटियाला से चुनााव लड़े तो वह उनके खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। इसके बाद उन्होंने कहा कि सिद्धू जहां से चुनाव लड़ेंगे वह अपना उम्मीदवार उतारकर उन्हें हराएंगे।
27 अक्टूबर को मीडिया से बातचीत में भी उन्होंने कहा था कि सिद्धू जहां से लड़ेंगे हम उन्हें हराएंगे। ऐसे में इस बात की संभावना कम ही है कि कैप्टन अपने राजनीतिक कैरियर के अंतिम पड़ाव में सिद्धू के साथ समझौता करेंगे। अगर ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई तो कांग्रेस को कैप्टन या सिद्धू में से किसी एक को ही चुनना पड़ेगा।