कोटकपूरा गोलीकांड और गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामलों में शिरोमणि अकाली दल के सरंक्षक और पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश बादल से पूछताछ करने के लिए पंजाब पुलिस के अफसर की टीम बादल के आवास पर पहुंची है। टीम का नेतृत्व कर रहे पुलिस अफसर राकेश अग्रवाल और उनकी टीम ने चंडीगढ़ स्थित पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल से सवाल जवाब शुरू कर दिया है। बताया जा रहा है कि प्रकाश सिंह बादल से पूछताछ के लिए करीब 82 सवालों की एक लंबी सूची तैयार की है। उधर बताया जा रहा है कि इस मामले में शिअद के प्रधान सुखबीर बादल को भी पूछताछ के लिए तलब कर सकती है। अभी तक पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी, डीजीपी इकबालप्रीत सहोता और स्पेशल डीजीपी होमगार्ड रोहित चौधरी सिंह से पूछताछ कर चुकी है।
यह है मामला:
इससे पहले भी रिटायर्ड कुंवर विजय प्रताप की अगुवाई में पिछले साल 16 नवंबर को प्रकाश सिंह बादल से पूछताछ कर चुकी है। गौरतलब है कि 2015 में बरगाड़ी में श्री गुरु ग्रंथ साहिब के पावन स्वरूप चोरी हो गए थे। जिसके करीब तीन माह बाद पुलिस ने कुछ ऐसे पोस्टर बरामद किए थे जिनमें बेअदबी के लिए डेराप्रमियों का हाथ होने का अंदेशा जताया गया था।
अक्टूबर माह में जब दोबारा से बेअदबी की घटना जब दोबारा सामने आई तो 12 अक्टूबर 2015 को सिख संगठनों के नेताओं ने पहले बरगाड़ी और फिर कोटकपूरा के मेन चौक में आकर प्रदर्शन शुरू कर दिया। 14 अक्टूबर को प्रदर्शनकारियों पर कोटकपूरा और बहिबल कलां में फायरिंग कर दी थी जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी, जबकि पुलिस सहित कई लोग घायल हो गए थे।
तत्कालीन अकाली-भाजपा सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए पंजाब पुलिस के डीजीपी सुमेध सैनी का तबादला कर दिया था और मामले की उच्चस्तरीय जांच के लिए 16 अक्टूबर 2015 को रिटायर्ड जज जस्टिस जोरा सिंह के नेतृत्व में आयोग का गठन किया था। इस आयोग पर जब सिख संगठनों ने सवाल उठाए तो 27 दिसंबर 2015 को सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस मार्कंडेय काटजू के नेतृत्व में एक अन्य जांच आयोग का गठन किया गया।
जस्टिस काटजू की रिपोर्ट को फरवरी 2016 मेंअकाली-भाजपा सरकार ने मानने से इनकार दिया। यही नहीं जस्टिस जोरा सिंह की रिपोर्ट को भी 30 जून 2016 में सरकार ने नकार दिया। कांग्रेस ने सत्ता में आने के बाद 2017 को जस्टिस रणजीत सिंह के नेतृत्व में एक जांच आयोग का गठन कर जांच शुरू की। जस्टिस रणजीत सिंह आयोग ने 30 जून 2018 को अपनी रिपोर्ट सरकार को दी, जिसमें बेअदबी के मामलों में डेरा की भूमिका पर संदेह जताया गया था। इसके बाद यह जांच अब कई पड़ावों से गुजर रही है और अभी तक कोई साकारात्मक परिणाम सामने नहीं आए हैं।