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किसान विरोध से डरे भाजपा नेता, पंजाब में स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में उतरे भाजपाई

केंद्र के कृषि कानूनों के विराेध में पंजाब के किसानों के समर्थन में आम जनता में फैले रोष से डरी भारतीय...
किसान विरोध से डरे भाजपा नेता, पंजाब में स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में उतरे भाजपाई

केंद्र के कृषि कानूनों के विराेध में पंजाब के किसानों के समर्थन में आम जनता में फैले रोष से डरी भारतीय जनता पार्टी ने 14 फरवरी को होनेे वाले स्थानीय निकाय चुनाव में बहुत सी सीटों से निर्दलीय के तौर पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। होशियारपुर,जालंधर,लुिधयाना,खन्ना और पटियाला में चुनाव प्रचार के लिए भाजपा के उम्मीदवारों और नेताओं को भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा था। पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष अश्वनी शर्मा समेत केंद्रीय राज्य मंत्री सोमप्रकाश को चुनाव प्रचार दौरान कपूरथला में लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा। कृषि कानून पर किसानों से 12 दौर की वार्ता में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तौमर और पीयूष गोयल के साथ सोमप्रकाश भी शामिल रहे हैं पर तमाम बैठकें बेनतीजा रहने से पंजाब के किसान वर्ग में केंद्रीय मंत्री साेमप्रकाश के प्रति भी भारी नाराजगी देखने को मिल रही है।

 हालांकि स्थानीय निकाय चुनाव की घोषणा के वक्त पार्टी की पंजाब कोर कमेटी ने 2022 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए फैसला लिया था कि तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद पार्टी अपने चुनाव निशान पर ही स्थानीय निकाय चुनाव लड़ेगी। कृषि कानून को लेकर प्रदेश में भाजपा के नेताओं औरे कार्यकर्ताओं के भारी विरोध के बीच पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह पैदा करने के लिए पार्टी के प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम ने कोर कमेटी की बैठक में निर्देश दिए थे कि जिन निकायों में चुनाव हैंं वहां के प्रदेश पदाधिकारी व मंडल अधिकारी खुद चुनाव लड़ें। अगर वह नहीं लड़ना चाहते हैंं तो उन्हें मजबूत प्रत्याशी का विकल्प देना होगा। कृषि सुधार कानूनों को लेकर किसानों की ओर से पंजाब में भाजपा नेताओं के विरोध का भाजपा ने डटकर सामना करने का फैसला किया था लेकिन हालात के आगे भाजपा को घुटने टेकने पड़े।

स्थानीय निकाय चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार उतारे जाने को लेकर प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम ने स्पष्ट किया था कि भाजपा तब भी चुनाव मैदान में अपने ही निशान पर लड़ती थी जब हमारे उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो जाती थी। पार्टी ने तब भी हिम्मत नहीं हारी। अब तो केंद्र और देश के एक तिहााई से ज्यादा राज्यों में भाजपा की सरकार है ऐसे में भाजपा किसी विरोध से नहीं डरने वाली। जबकि जमीनी हालात यह हैं कि आजाद उम्मीदवार के तौर पर औद्योगिक नगरी मंडीगोबिंदगढ़ से चुनाव लड़ने वाले हलका प्रमुख पुनीत गोयल ने चुनाव से पहले ही पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। कई इलाकों में बीजेपी को इस बार संकट से गुजरना पड़ रहा है।

   किसान आंदोलन के कारण चुनावों का समीकरण इस बार बदल गया है। क्योंकि किसान संघर्ष के चलते अब बीजेपी नेता भाजपा के चुनाव चिह्न पर लड़ने की बजाय आजाद उम्मीदवार के तौर पर खड़े हैं।  दोआबा में 22 शहरी स्थानीय निकायों में से जालंधर, होशियारपुर, कपूरथला और शहीद भगत सिंह नगर में भाजपा सभी सीटों पर उम्मीदवार नहीं उतार पाई है। कपूरथला के 50 में से 38 वार्डों में अपने उम्मीदवार खड़े किए। इतना ही नहीं किसान आंदोलन के चलते अधिकतर पूर्व पार्षद भी इन दिनों अपना चुनाव प्रचार बिना पार्टी के चुनाव चिन्ह और नेता के फोटो के बिना कर रहे हैं। जिसको लेकर पंजाब भाजपा के अध्यक्ष अश्वनी कुमार शर्मा ने कड़ा नोटिस लिया है। भाजपा के बठिंडा जिले के अध्यक्ष विनोद कुमार बिंटा,भुच्चो मंडी नगरपालिका से निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं।
   14 फरवरी को होने वाले स्थानीय निकाय चुनाव में 9 नगर निगमों,109 नगर कौंसिल और नगर पंचायतों के 2302 वार्डाें में भाजपा द्वारा 670 उम्मीदवार मैदान में उतारे गए हैं जबकि सत्ताधारी कांग्रेस के 1652,शिरोमणी अकाली दल 1526,आम आदमी पार्टी के 1155 और बसपा के 102 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। राज्य चुनाव अायोग के मुतािबक भाजपा ने 29 फीसदी सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं। कांग्रेस द्वारा 72,अकाली दल 66 और आम आदमी पार्टी के 49 फीसदी सीटों पर उम्मीदवार मैदान में हैं।

 

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