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ग्रामीण नाम : बदनाम गाम की शर्म

“हर क्षेत्र में कुछ ऐसे गांव हैं जिनके नाम वहां के लोगों को शर्मिंदा करते हैं, इन नामों के बदलने की...
ग्रामीण नाम : बदनाम गाम की शर्म

“हर क्षेत्र में कुछ ऐसे गांव हैं जिनके नाम वहां के लोगों को शर्मिंदा करते हैं, इन नामों के बदलने की कवायद जारी”

कई लोग अपने नाम के साथ अपने गांव का नाम जोड़ने में फख्र महसूस करते हैं। पंजाब और हरियाणा के कई सियासी और रसूखदार परिवारों में नाम के साथ गांव का नाम जोड़ने की प्रथा पीढ़ियों से जारी है। यह उनके लिए न केवल गर्व, बल्कि गांव की पहचान का भी मामला है। चाहे पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का गांव बादल हो या  हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला का गांव चौटाला, कई रसूखदारों ने अपने नाम के साथ अपने गांव का नाम जोड़कर इन गांवों को देश-दुनिया में पहचान दी है। इसके उलट, अटपटे नाम वाले सैकड़ों ऐसे गांव भी हैं जहां के निवासी अपने गांव का नाम बताने में शर्मिंदगी महसूस करते हैं। आज भी कुछ लोग अपने गांव, कस्बे की पहचान छुपाते फिरते हैं। वे नहीं चाहते कि गांव के नाम के चक्कर में उनका मजाक उड़े। इसीलिए हरियाणा के गांव किन्नर, कुत्ताबढ़, कुतियांवाली, गंदा, चोरगढ़, लूला अहीर, लंडौरा, चमार खेड़ा, दुर्जनपुर जैसे दर्जनों गांवों में से कई के नाम बदले जा चुके हैं। कई ऐसे अटपटे नाम बदले जाने का लोगों को इंतजार है।

पंजाब के बठिंडा जिले के गांव मूसेवाला को भले ही सिद्धू मूसेवाला ने देश-दुनिया में बड़ी पहचान दिलाई पर यहां के ग्रामीणों को इस नाम पर एेतराज है क्योंकि मूसेवाला का अर्थ है, चूहे वालों का गांव। ऐसे ही कस्बों में एक है गीदड़बाहा यानि जहां गीदड़ रहते हैं। यहां के निवासी भी अपने कस्बे के नाम पर शर्म महसूस करते हैं। राजस्थान में चोर बावड़ी, बिहार में नचनियां जैसे गांव हैं जिनका नाम बताने में वहां के निवासियों को शर्मिंदगी महसूस होती थी। इन गांवों के लोगों ने अपनी राज्य सरकारों के जरिये केंद्रीय गृह मंत्रालय को अर्जी भेजी है।

2018 में कई राज्यों की अर्जियों पर गांवों के नाम बदले जाने की पहल केंद्रीय गृह मंत्रालय ने की थी। गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा, राजस्थान और पंजाब समेत कई राज्यों से 2018 से 2020 के दौरान गांवों के नाम बदलने की 67 अर्जियां मिली थीं जिसमें से 52 गांवों के नाम बदलने की अनुमति देते हुए एनओसी जारी की जा चुकी है।

इस क्रम में रोहतक जिले के गढ़ी सांपला गांव का नामकरण सर छोटूराम नगर कर दिया गया, इसके बावजूद आज भी इसे गढ़ी सांपला के नाम से ही पुकारा जाता है। हिसार का चमार खेड़ा गांव बदलकर सुंदर खेड़ा हो गया। करनाल जिले के बाल रांगडान गांव को बाल राजपुतान गांव कहते हैं। भिवानी का दुर्जनपुर गांव अब शिवधाम हो गया है। गुरुग्राम के भोंडसी का नाम बदलकर भुवनेश्वरी रखने के प्रस्ताव को मंजूरी मिल चुकी है।

करनाल जिले के कस्बे इंद्री के पास गांव लंढौरा का नाम बदलने की मांग यहां के निवासी दशकों से कर रहे हैं। लंढौरा के सरपंच मनोज कुमार सेतिया के मुताबिक ग्राम पंचायत ने गांव का नाम गांव के बुजुर्ग जयराम के नाम पर जयरामपुर करने का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेज दिया है। सिरसा जिले के गांव कुत्ताबढ़ को ढाणी कहा जाता था, लेकिन यहां के कुत्ते लोगों को काट लेते थे इसलिए सभी ने इसका नाम कुत्ताबढ़ रख दिया। यहां की ग्राम पंचायत ने गांव का नाम प्रेमनगर रखने का प्रस्ताव सरकार के पास भेजा था, लेकिन सरकार ने इसी नाम से दूसरा गांव होने की बात कहकर दूसरे किसी नए नाम का प्रस्ताव मांगा। गांव की सरपंच पूनम रानी ने पुष्टि की है कि कुत्ताबढ़ गांव का नाम बदल कर प्यारनगर रखने को मंजूरी मिल गई है।

गांव कुतियांवाली के पीछे भी कुछ ऐसी ही कहानी है। पहले इस गांव का नाम शहजादपुर था। आजादी से पहले एक अंग्रेज अधिकारी यहां आया था और उसे किसी कुतिया ने काट लिया था। तब उसने गुस्से में आकर इस गांव का नाम बदलकर कुतियांवाली रख दिया। अब इस गांव का नाम फिर से बदलकर शहजादपुर कर दिया गया है। इसी तरह गांव किन्नर का नाम बदलकर गैबी नगर किया गया है। 

फतेहाबाद के गांव गंदा का नाम बदलवाने की कवायद में 1989 से लगे गांव के सरपंच लखविंद्र राम का कहना है कि गांव का नाम बदलने के लिए 4 मार्च, 1989 को प्रस्ताव पास किया था। राज्य सरकार के स्तर पर कार्रवाई न होने से गांव की छात्रा हरप्रीत कौर की चिट्ठी पर प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा संज्ञान लेने के बाद गांव का नाम बदले जाने की कार्रवाई शुरू हुई। इसके बाद गंदा गांव का नाम बदलकर अजीत नगर किया गया। रेवाड़ी जिले के गांव लूला अहीर के सरपंच बीरेंद्र सिंह कहते हैं कि गांव का नाम बदलने को लेकर पंचायत ने प्रस्ताव पास कर दिया है।

हरियाणा के विकास और पंचायत विभाग मंत्री देवेंद्र सिंह बबली ने आउटलुक से कहा, “किसी वजह से दशकों से अटपटे नाम वाले गांवों के सम्मानजनक नामकरण के लिए जिन भी पंचायतों के प्रस्ताव सरकार के पास आए हैं उन पर कार्रवाई की जा रही है। सरकार के स्तर पर भी अटपटे नाम वाले गांवों की पहचान कर उनके सम्मानजनक नामकरण की प्रक्रिया जारी है।”

पंजाब विश्वविद्यालय के समाजशास्त्री रोणकी राम पुराने नामों को बदले जाने पर सवाल उठाते हुए कहते हैं, “यूपी के कई ऐतिहासिक शहरों के नाम बदले गए हैं, जैसे मुगलसराय का नाम बदलकर दीनदयाल उपाध्याय नगर, इलाहाबाद का नाम प्रयागराज और फैजाबाद जिले का अयोध्या कर दिया गया। हरियाणा के गुड़गांव को बदलकर गुरुग्राम किया गया। क्या इन जगहों के नाम बदले जाने से इनके हालात भी बदल गए?”

यह सवाल भले जायज है, लेकिन अपने गांवों के नाम बदलने को लेकर लोगों की मांग भी अपनी जगह कायम है। मतलोडा, भैंसा, भैंसवाल, पेटवाड़, ढेडपुरा, स्वाहा, बुढ़ाखेड़ा, मूसेवाला, गिदड़बाहा, मियों का बाड़ा, झूठा, गंवार, भूखा, घोड़ी से लेकर राफेल जैसे सैकड़ों अटपटे नाम वाले गांवों और कस्बों के निवासियों को अब भी नए नाम का इंतजार है।

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