रूस के भारत में राजदूत डेनिस अलीपोव ने पुष्टि की है कि भारत को S-400 वायु रक्षा प्रणाली के शेष दो रेजिमेंट समय पर प्राप्त होंगे। उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण आपूर्ति श्रृंखला और उत्पादन में हुई देरी के बावजूद, अब डिलीवरी कार्यक्रम पटरी पर है और समयबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा।
भारत ने अक्टूबर 2018 में रूस के साथ 5.4 अरब डॉलर का समझौता किया था, जिसके तहत पांच S-400 ट्रायम्फ मिसाइल सिस्टम प्राप्त होने थे। पहला रेजिमेंट दिसंबर 2021 में मिला, जबकि दूसरा और तीसरा क्रमशः अप्रैल 2022 और अक्टूबर 2023 में भारत को सौंपा गया।
शेष दो रेजिमेंटों की डिलीवरी अब 2026 तक पूरी होने की संभावना है। रूस ने भारत को आश्वासन दिया है कि इन डिलीवरी में कोई बाधा नहीं आएगी, और दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग निर्बाध रूप से जारी रहेगा।
S-400 प्रणाली, जिसे भारत में "सुदर्शन चक्र" के नाम से जाना जाता है, 380 किलोमीटर की दूरी तक दुश्मन के बमवर्षक, जेट, जासूसी विमान, मिसाइल और ड्रोन को पहचानने और नष्ट करने में सक्षम है। यह प्रणाली एक साथ कई लक्ष्यों को भेद सकती है और भारत की वायु रक्षा क्षमता को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाती है।
हाल ही में भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के दौरान, S-400 प्रणाली ने पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइल हमलों को विफल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारतीय वायु सेना ने इसे सफलतापूर्वक तैनात किया, जिससे इसकी प्रभावशीलता सिद्ध हुई।