मुंबई की लोकल ट्रेन में 18 जुलाई 2025 को एक मामूली सीट विवाद ने भाषा विवाद का रूप ले लिया। यह घटना सेंट्रल लाइन की भीड़भाड़ वाली महिला डिब्बे में हुई, जहां सीट को लेकर शुरू हुई बहस जल्द ही मराठी और हिंदी भाषा पर केंद्रित हो गई। वायरल हुए एक वीडियो में कुछ मराठी भाषी महिलाओं को एक यात्री से मराठी में बोलने की मांग करते सुना गया। एक महिला ने कहा, "यह हमारा मुंबई है। मराठी बोलो, वरना बाहर जाओ।" इस घटना ने महाराष्ट्र में पहले से चल रहे भाषा विवाद को और हवा दे दी।
विवाद की शुरुआत तब हुई, जब महिला डिब्बे में सीट को लेकर कुछ यात्रियों के बीच कहासुनी शुरू हुई। एक महिला ने दूसरी यात्री पर हिंदी में बोलने का विरोध किया और मराठी बोलने की मांग की। वीडियो में छह से सात महिलाएं बहस करती नजर आ रही हैं, जिसमें कुछ ने मराठी भाषा के सम्मान की बात कही। इस दौरान कोई शारीरिक झड़प तो नहीं हुई, लेकिन तीखी बहस ने डिब्बे में तनावपूर्ण माहौल बना दिया। रेलवे सुरक्षा बल और सरकारी रेलवे पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है।
यह घटना महाराष्ट्र में भाषा को लेकर चल रहे तनाव के बीच हुई है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के कार्यकर्ताओं पर हाल ही में गैर-मराठी भाषी लोगों को निशाना बनाने के आरोप लगे हैं। उदाहरण के लिए, 16 जुलाई को विक्रोली में एक दुकानदार को एमएनएस कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर मराठी न बोलने और व्हाट्सएप स्टेटस में मराठी के खिलाफ टिप्पणी करने पर पीटा। एक अन्य घटना में, ठाणे में एक खाद्य विक्रेता को मराठी न बोलने पर थप्पड़ मारा गया। ये मामले सोशल मीडिया पर वायरल हो गए, जिससे भाषाई असहिष्णुता पर बहस छिड़ गई।
कई लोगों ने इस तरह की घटनाओं को महाराष्ट्र की सांस्कृतिक पहचान पर हमला बताया, जबकि अन्य का मानना है कि यह आगामी नगरपालिका चुनावों के लिए राजनीतिक रणनीति है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी घटनाएं सामाजिक एकता को नुकसान पहुंचा सकती हैं और मुंबई जैसे बहुभाषी शहर में सभी भाषाओं का सम्मान जरूरी है।