कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने हसन जिले में हार्ट अटैक से हुई 23 मौतों को कोविड-19 वैक्सीन से जोड़ा। उन्होंने कहा कि वैक्सीन की जल्दबाजी में मंजूरी इसका कारण हो सकती है। इस पर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII), जो कोविशील्ड बनाता है, ने जवाब दिया। SII ने कहा, “ICMR और AIIMS के दो बड़े अध्ययनों में कोविड वैक्सीन और अचानक मौतों के बीच कोई संबंध नहीं मिला। वैक्सीन सुरक्षित और वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित है।”
हसन में पिछले 40 दिनों में 23 लोग हार्ट अटैक से मरे। इनमें ज्यादातर 19-45 साल के थे। सिद्धारमैया ने 1 जुलाई 2025 को X पर लिखा, “हम इसे गंभीरता से ले रहे हैं। कारण जानने के लिए डॉ. रविंद्रनाथ की अगुवाई में एक विशेषज्ञ समिति बनाई गई है।” समिति को 10 दिनों में रिपोर्ट देनी है। उन्होंने वैक्सीन की जल्दबाजी में मंजूरी पर सवाल उठाया और BJP पर राजनीति करने का आरोप लगाया।
केंद्र सरकार ने सिद्धारमैया के दावों को खारिज किया। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, “ICMR और NCDC के अध्ययनों से साबित हुआ कि कोविड वैक्सीन और अचानक मौतों का कोई सीधा संबंध नहीं है।” मंत्रालय ने बताया कि हार्ट अटैक के कारणों में जेनेटिक्स, जीवनशैली और कोविड के बाद की जटिलताएं शामिल हो सकती हैं। AIIMS का एक अध्ययन भी कहता है कि अचानक मौतों में जेनेटिक म्यूटेशन बड़ा कारण हो सकता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा कि कोविड संक्रमण से दिल की समस्याएं वैक्सीन की तुलना में ज्यादा होती हैं। बायोकॉन की किरण मजूमदार-शॉ ने सिद्धारमैया के दावों को गलत बताया। उन्होंने कहा, “वैक्सीन ने लाखों जिंदगियां बचाईं। गलत दावे लोगों में डर फैलाते हैं।”
सिद्धारमैया ने लोगों से सीने में दर्द या सांस की तकलीफ होने पर तुरंत अस्पताल जाने को कहा। हसन में जांच जारी है। सरकार ने हृदय ज्योति और गृह आरोग्य योजनाओं से लोगों की सेहत पर नजर रखने की बात कही। यह मामला वैक्सीन पर बहस को फिर से गर्म कर सकता है।