न्यायमूर्ति हेमा समिति की रिपोर्ट में मलयालम सिनेमा में महिलाओं के यौन उत्पीड़न पर आश्चर्यजनक खुलासों ने मंगलवार को केरल में राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया। विपक्षी दलों ने रिपोर्ट मिलने के बावजूद पिछले चार साल में इस पर चुप्पी साधने तथा कोई कार्रवाई न करने के लिए वाम मोर्चे की सरकार की आलाचेना की जबकि सरकार ने पीड़ितों को समर्थन दिया।
कांग्रेस नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) ने सवाल उठाया कि क्या सरकार ने आरोपियों को बचाने के लिए रिपोर्ट को गोपनीय रखा। उसने आरोप लगाया कि पिनरायी विजयन सरकार असहाय पीड़ितों के बजाय ‘शिकारियों’ का पक्ष ले रही थी।सरकार तथा संस्कृति मामलों के मंत्री साजी चेरियन पर तीखा प्रहार करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आरोप लगाया कि वह आरोपियों द्वारा किए गए अपराधों के बारे में सूचना मिलने के बावजूद उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई करने में विफल रहे।
बहरहाल, सरकार ने आरोपों से इनकार किया और स्पष्ट किया कि उन्होंने समिति की सिफारिशों तथा सुझावों को लागू करने के कदम उठाना पहले ही शुरू कर दिया है। साजी चेरियन ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘सरकार हमेशा पीड़ितों...और महिला समुदाय के साथ है।’’ विधानसभा में विपक्ष के नेता वी डी सतीशन ने आरोप लगाया कि सरकार आरोपियों की निजता की रक्षा करने का प्रयास कर रही है और उन्होंने प्राधिकारियों से हेमा समिति की रिपोर्ट के आधार पर एक मामला दर्ज करने को कहा।
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री वी. मुरलीधरन ने चेरियन पर निशाना साधा और कहा कि संस्कृति मामलों के मंत्री अभी तक रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई न कर इस अपराध का हिस्सा बन गए हैं।।माकपा की वरिष्ठ नेता के. के. शैलजा ने महिलाओं के खिलाफ ऐसे अपराधों पर लगाम लगाने के लिए फिल्म उद्योग में सख्त कानूनों और व्यापक सुधारों की मांग की।
हेमा समिति की रिपोर्ट पर विभिन्न वर्गों ने कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए काम करने का सुरक्षित माहौल और महिला पेशेवरों के साथ समान बर्ताव सुनिश्चित करने के लिए सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। यूडीएफ ने शिकायतों की जांच के लिए भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) की महिला अधिकारियों का एक दल गठित करने की मांग की है जबकि राज्य महिला आयोग ने रिपोर्ट में उल्लेखित मुद्दों से निपटने के लिए प्राधिकारियों से तुरंत हस्तक्षेप करने के लिये कहा है।
महिला आयोग की अध्यक्ष पी. सती देवी ने सोमवार को कहा, ‘‘हेमा समिति की सुझाव के आधार पर महिला आयोग सरकार से शूटिंग सेट पर ‘कार्य स्थल पर महिलाओं का उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) कानून, 2013’ के अनुसार शिकायत निवारण समिति बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाने की सिफारिश देगा।’’ रिपोर्ट जारी किए जाने का स्वागत करते हुए मलयालम सिनेमा उद्योग में महिला पेशेवरों के संगठन ‘वुमेन इन सिनेमा कलेक्टिव’ (डब्ल्यूसीसी) ने उम्मीद जतायी कि सरकार सिफारिशों का अध्ययन करने और उन पर कार्रवाई करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगी।
राज्य सरकार ने 2019 में न्यायमूर्ति हेमा समिति का गठन किया था। समिति ने मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं के समक्ष आ रही समस्याओं का अध्ययन किया। इस रिपोर्ट में महिलाओं के यौन उत्पीड़न, शोषण और दुर्व्यवहार के महत्वपूर्ण विवरण को उजागर किया गया है। रिपोर्ट में इस मुद्दे पर गहराई से प्रकाश डाला गया है, जिससे मलयालम फिल्म उद्योग में महिला पेशेवरों की सुरक्षा और कल्याण के बारे में चिंता उत्पन्न हो गई है।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि महिला कलाकारों को उत्पीड़न का सामना करना पड़ा, जिसमें फिल्म उद्योग में नशे में धुत व्यक्तियों द्वारा उनके कमरों के दरवाजे खटखटाने की घटनाएं भी शामिल हैं। इसमें कहा गया है कि यौन उत्पीड़न की शिकार कई महिलाएं डर के कारण पुलिस में शिकायत करने से कतराती हैं। रिपोर्ट के अनुसार, जो महिला कलाकार समझौता करने के लिए तैयार होती हैं, उन्हें कोड नाम दे दिए जाते हैं और जो समझौता करने के लिए तैयार नहीं होतीं, उन्हें काम नहीं दिया जाता है।
सरकार को सौंपे जाने के पांच साल बाद रिपोर्ट की प्रति आरटीआई अधिनियम के तहत मीडिया को दी गई।