कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा है कि भारत आतंकवाद से डरकर चुप नहीं बैठेगा। यह बयान उन्होंने अमेरिका के लिए रवाना होते समय दिया। उनका यह दौरा भारत के उन प्रयासों का हिस्सा है, जिसमें पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक समर्थन जुटाने की कोशिश की जा रही है।
'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद केंद्र सरकार ने सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के सांसदों को शामिल करते हुए सात अलग-अलग अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल गठित किए हैं। इन प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व शशि थरूर, रवि शंकर प्रसाद, बैजयंत पांडा, कनिमोझी, सुप्रिया सुले, संजय कुमार झा और श्रीकांत शिंदे कर रहे हैं। इनका उद्देश्य मित्र देशों को भारत की कार्रवाई और स्थिति से अवगत कराना है।
हालांकि कांग्रेस ने इस प्रक्रिया पर नाराज़गी जताई है। पार्टी का कहना है कि सरकार ने उनके द्वारा सुझाए गए नामों को दरकिनार कर दिया और थरूर को बिना पार्टी की सहमति के चुना गया। कांग्रेस ने इसे “राजनीतिक अनदेखी” करार दिया है।
शशि थरूर ने इसे राष्ट्रीय कर्तव्य बताते हुए कहा कि यह समय राजनीतिक मतभेदों को भुलाकर एकजुट होकर दुनिया को संदेश देने का है कि भारत आतंकवाद को लेकर गंभीर है और अब उसे बर्दाश्त नहीं करेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हाल ही में कहा था कि भारत अब न परमाणु धमकी से डरेगा और न आतंकवाद से समझौता करेगा। यह नई रणनीति भारत की बदली हुई नीति को दर्शाती है।