तृणमूल कांग्रेस (TMC) के वरिष्ठ सांसद कल्याण बनर्जी ने लोकसभा में पार्टी के चीफ व्हिप पद से इस्तीफा दे दिया है। यह फैसला पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी द्वारा बुलाई गई एक वर्चुअल बैठक के बाद आया, जिसमें उन्होंने सांसदों के बीच खराब समन्वय और संसद में गैरहाजिरी को लेकर नाराज़गी जताई। बैठक में ममता ने सांसदों की निष्क्रियता पर सवाल उठाए और संगठनात्मक अनुशासन की कमी को लेकर चिंता जताई। इस माहौल में कल्याण बनर्जी ने बैठक के दौरान ही पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी और कहा, "ब्लेम मुझ पर है, तो मैं हटता हूं।"
कल्याण बनर्जी, जो श्रीरामपुर (हुगली) से चार बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं, पार्टी के एक पुराने और प्रभावशाली नेता माने जाते हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कई सांसद जो संसद में शायद ही कभी आते हैं, उन पर कोई सवाल नहीं उठाया गया जबकि उन पर सारा दोष मढ़ दिया गया। इस्तीफे के पीछे एक बड़ा कारण सांसद महुआ मोइत्रा के साथ चल रहा उनका विवाद भी माना जा रहा है। महुआ ने सार्वजनिक रूप से बनर्जी के खिलाफ कथित अपशब्द कहे थे, जिससे पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा और संगठन के भीतर असहजता फैल गई। बनर्जी ने कहा कि उन्होंने इस मामले में चुप्पी बनाए रखी, लेकिन फिर भी उन्हें ही दोषी ठहराया गया।
इस्तीफे के कुछ ही समय बाद पार्टी ने लोकसभा में नेतृत्व को लेकर बड़ा फैसला लेते हुए अभिषेक बनर्जी को नया नेता नियुक्त कर दिया। अभिषेक ममता बनर्जी के भतीजे हैं और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव भी हैं। उनका लोकसभा में नेतृत्व संभालना स्पष्ट संकेत देता है कि पार्टी अब युवाओं को अधिक ज़िम्मेदारी सौंप रही है और संगठन में नई ऊर्जा लाने की कोशिश कर रही है।
इस घटनाक्रम ने TMC के अंदर चल रहे शक्ति संतुलन, आंतरिक गुटबाज़ी और नेतृत्व शैली को एक बार फिर उजागर कर दिया है। एक ओर ममता बनर्जी अनुशासन और जवाबदेही को लेकर सख्त रुख अपनाने की कोशिश कर रही हैं, तो दूसरी ओर वरिष्ठ नेताओं में असंतोष भी साफ नज़र आ रहा है। कल्याण बनर्जी का इस्तीफा केवल एक पद छोड़ने की बात नहीं, बल्कि एक गहरी संगठनात्मक खींचतान की झलक है जो 2026 के चुनावी मौसम से पहले TMC के लिए चुनौती बन सकती है।