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चाउमीन वाले को 16 करोड़ तो मजदूर को देना होगा 5 करोड़ टैक्स, जीएसटी के नाम पर गजब का गोरखधंधा

कोरोना में धंधे ठप होने के कारण राज्‍य सरकार त्राहि-त्राहि कर रही है। राजस्‍व बढ़ाने के उपाय तलाशे जा...
चाउमीन वाले को 16 करोड़ तो मजदूर को देना होगा 5 करोड़ टैक्स, जीएसटी के नाम पर गजब का गोरखधंधा

कोरोना में धंधे ठप होने के कारण राज्‍य सरकार त्राहि-त्राहि कर रही है। राजस्‍व बढ़ाने के उपाय तलाशे जा रहे हैं। दूसरी तरफ झारखंड के चाउमिन बेचने वाले ने करीब 16 करोड़ का कारोबार कर लिया और एक मजदूरी किसानी करने वाले को साढ़े पांच करोड़ रुपये जीएसटी का नोटिस मिला है। आप सोच रहे होंगे झारखंड के छोटे धंधेबाजों की बल्‍ले-बल्‍ले हैं। मगर यह सब हो रहा है गोरख धंधेबाजों द्वारा टैक्‍स को अपनी आमदनी बनाने का फर्जीवाड़ा चल रहा है। सड़क पर ठेला लगा, खेत में हल चला, मजदूरी कर किसी तरह पेट भरने वालों के दस्‍तावेज का इस्‍तेमाल कर फर्म बना, यह काला धंधा चल रहा है। जब नोटिस मिलता है तब ऐसे लोगों को पता चलता है। झारखंड में गरीबों के दस्‍तावेज के हवाले फर्म बना कोई एक हजार करोड़ से अधिक की चोरी का मामला सामने आया है। और इस सिलसिले में दो सौ से अधिक मामले विभिन्‍न जिलों में दर्ज किए गए हैं।

जमशेदपुर के घाटशिला अनुमंडल के मुसाबनी का रहने वाले 48 वर्षीय लादुम मुर्मू एक छोटा किसान है। खेती-मजदूरी कर परिवार पालता है। मगर कागज पर एमएस स्‍टील कंपनी का मालिक। स्‍थानीय प्रभात खबर के अनुसार वाणिज्‍यकर विभाग ने लादुम को साढ़े पांच करोड़ से अधिक जीएसटी चोरी का आरोप लगाते हुए नोटिस पकड़ाया है। लादुम ने तो जीवन भर में भी इतना कमाने का सपना तक नहीं देखा था जितने की चोरी का आरोप लगा है। पिछले साल उस पर जमशेदुपुर के मुसाबनी थाने में मामला दर्ज किया गया है। जांच के क्रम में बात सामने आयी कि किसी बैला मुर्मू ने उससे दो हजार रुपये मासिक देने का वादा कर उससे आधार कार्ड आदि दस्‍तावेज लिये थे।

इसी तरह धनबाद का विक्‍की बनर्जी चाउमीन बेचकर अपना परिवार चलाता है। कागज में वह कोयला का धंधा करने वाले नारायणी ट्रेडर्स का मालिक है। कंपनी के खिलाफ जीएसटी की चोरी का मामला दर्ज हुआ है। करीब 16 करोड़ रुपये का कारोबार कर फर्म को बंद कर दिया गया। प्राथमिकी के बाद जांच आगे बढ़ी तो पता चला कि विक्‍की कोयला कारोबारी नहीं चाउमिन बेचने वाला है। उसने जांच अधिकारी को बताया कि किसी सत्‍यनारायण सिन्‍हा ने कंपनी में जोड़ने और दस हजार रुपये मासिक देने का वादा कर उसका आधार कार्ड आदि लिया था। दर असल बिना सत्‍यापन के मिली भगत से वाणिज्‍य कर अधिकारियों द्वारा जीएसटी नंबर आवंटन से यह सब खेल शुरू होता है। लादुम और विक्‍की की तरह कई और  खेती, मजदूरी और ठेला लगाकर परिवार पालने वाले गरीब हैं जो छोटे से लोभ में काला कारोबार करने वालों के शिकार हो गये। किराये के मकान में धंधा दिखाया। काम किया और बिना टैक्‍स अदा किये दुकान बंद। जब बकाया को लेकर विभाग ने पहल की तो फर्जीवाड़ा सामने आया। धनबाद, जमशेदपुर, देवघर, बोकारो, रांची में इस तरह के अनेक मामले पकड़ में आये हैं जिन पर कार्रवाई चल रही है।

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