हिमाचल विधानसभा बजट सत्र शुरू हुआ, लेकिन पहले ही दिन सदन में वह देखने को मिला जो पहले कभी नही हुआ था। सदन के अंदर नारेबाजी तो पहले भी होती रही है, लेकिन सदन के बाहर गेट पर विपक्ष ने राज्यपाल के अभिभाषण की प्रतियां लहराते हुए राज्यपाल के रास्ते खड़े हो गए।यहां तक कि प्रतियां फाड़कर राज्यपाल की सुरक्षा कर्मियों की जगह विधानसभा के उपाध्यक्ष व अन्य मंत्री रास्ता खुलवाने के लिए विपक्ष के सदस्यों से गुथमगुथा हो गए।
इससे पहले 11 बजे सदन की कार्यवाही राज्यपाल के अभिभाषण से शुरू हुई। नाराज विपक्ष ने मंहगाई व किसान आंदोलन का हवाला देकर राज्यपाल के अभिभाषण को कचरा बताया व बीच में नारेबाजी शुरू कर दी। जिसके चलते राज्यपाल ने 15 मिनट में ही अभिभाषण खत्म कर दिया। उसके बाद विपक्ष मुख्य गेट में जाने के बजाए विधानसभा अध्यक्ष के गेट में नारेबाजी करने चला गया जहां से राज्यपाल को जाना था। हंगामा करने वाले सदस्यों पर भी कार्यवाही हो सकती है।
हंगामें के बाद मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने सुरक्षा कर्मियों सहित मंत्रियों के साथ बैठक आयोजित की और दोबारा से सदन बुलाया। स्पीकर ने सदन की कार्यवाही शुरू करते हुए बताया कि स्थगित होने के बाद 346 नियम के तहत दोबारा से सदन बुलाया गया है। विपक्ष की तरफ से कोई भी सदन में नही पहुंचा। इस घटना के विधानसभा अध्यक्ष विपिन परमार सहित संसदीय कार्यमंत्री सुरेश भारद्वाज व मुख्यमंत्री ने आज के दिन को शर्मनाक करार दिया व इसकी निंदा की मांग उठी की ऐसे हंगामा करने वाले सदस्यों के खिलाफ कार्यवाही की जाए। विपक्ष ने राज्यपाल पर हमला किया है। नियम 319 के तहत विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री, हर्षबर्धन चौहान, सतपाल रायजदा सुंदर सिंह व विनय सिंह को पूरे सत्र के लिए निलंबित किया गया।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सदन में विपक्ष को कहा "जमीन पर रहें नहीं तो जमीन में गाड़ देते है" लोग,,,विपक्ष कानून से ऊपर नहीं है,राज्यपाल व उनके सुरक्षा कर्मियों से धक्कामुकी जैसा व्यवहार ठीक नहीं है। देवभूमि में ये घटना शर्मनाक है। वक्त आने पर कौन भागेगा कौन रहेगा इसका पता चलेगा। विपक्ष का व्यवहार निदनीय है।