यहां के निवासी दावा करते हैं कि डेटा में आगे के लिए अनदेखी की गई क्योंकि वे लोग चाहते थे कि बांध की ऊंचाई बढ़ जाए। सरदार सरोवर योजना से जुड़े अधिकारी बांध की स्वीकृति चाहते थे ताकि इन छेड़छाड़ किए गए आंकड़ों को दिखाया जाए। जबकि वास्तविक नुकसान की जानकारी के लिए उन्हें बैकवॉटर का सर्वेक्षण भी कराना ही चाहिए था। बैकवॉटर की वजह से 55 गांव डूबने जा रहे हैं। यह बात कसरावद निवासी कैलाश यादव ने एक पत्रकार को बताई। वहां पहुंचे पत्रकार ने अनुमान लगाया है कि बांध की ऊंचाई बढ़ने से न सिर्फ करसावद बल्कि पास लगे हुए बड़वानी के गांव डूबने की भी संभावना बढ़ गई है।
बड़े पैमाने पर हुए आंकड़ों की हेराफेरी सिर्फ अकेला उदाहरण नहीं है। पत्रकार द्वारा किए गए शोध बताते हैं कि गलत आंकड़ों का यह फर्जीवाड़ा मध्य प्रदेश के अन्य 51 गांवों में भी हुआ है। अब गांव वाले चाहते यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि उनका पुर्नवास, पुर्नवास नीति, एक्शन प्लान और प्राधिकरण के निर्णय के आधार पर हो।