आप नेता कुमार विश्वास और संजय सिंह ने मंगलवार को महाराष्ट्र के अमहदनगर जिला स्थित रालेगणसिद्धि गांव पहुंचकर हजारे से मुलाकात की और अरविन्द केजरीवाल सरकार द्वारा दिल्ली विधानसभा में कल पेश किए गए जनलोकपाल विधेयक की प्रमुख विशेषताओं की उन्हें जानकारी दी। अन्ना के सुझावों में सबसे प्रमुख है कि लोकपाल की चयन समिति में सात सदस्य होने चाहिए जिनमें उच्च न्यायालय के दो न्यायाधीश और कोई एक प्रतिष्ठित शख्स शामिल हों। इसके बारे में उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय की मंजूरी के बाद ही पद से हटाने के लिए महाभियोग की प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए। मसौदा विधेयक के अनुसार जनलोकपाल संस्था के प्रमुख या किसी सदस्य को साबित कदाचार या अक्षमता के आधार पर विधानसभा में कुल सदस्यों में से कम से कम दो तिहाई बहुमत के साथ सदन की सिफारिश पर केवल उपराज्यपाल द्वारा हटाया जा सकता है।
वहीं आम आदमी पार्टी ने आज दिल्ली के जनलोकपाल विधेयक 2015 का समर्थन करने के लिए अन्ना हजारे का शुक्रिया अदा किया। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि वह हजारे द्वारा खासतौर पर लोकपाल की नियुक्ति और हटाने के संबंध में प्रस्तावित बदलावों को निश्चित रूप से लागू करेंगे। मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया, अन्नाजी आपके समर्थन और आशीर्वाद के लिए शुक्रिया। हम आपके सुझावों को निश्चित रूप से लागू करेंगे। केजरीवाल के बयान को इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि सरकार ने कल विधेयक पेश करने के बाद प्रस्तावित चार सदस्यीय चयन समिति का बचाव किया था जिसमें मुख्यमंत्री, विपक्ष के नेता, दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और विधानसभा अध्यक्ष शामिल हैं। जनलोकपाल विधेयक आप के प्रमुख चुनावी वायदों में से एक था। पार्टी ने जोर दिया कि यह इसके 2011 के वास्तविक संस्करण के ही समान है। यह प्रस्तावित लोकपाल को राष्ट्रीय राजधानी में किसी भी लोकसेवक के खिलाफ कार्रवाई करने में सक्षम बनाएगा चाहे वह केंद्र से ही क्यों न हो। हालांकि 2015 का मसौदा विधेयक यह कहता है कि जनलोकपाल या जनलोकपाल कार्यालय के किसी भी कर्मचारी के खिलाफ अभियोग या कानूनी कार्यवाही नहीं चलाई जा सकती, वहीं आप नेताओं ने कहा कि लोकपाल के किसी भी सदस्य को हटाने के लिए महाभियोग की प्रक्रिया चलाई जाएगी। विधेयक उपराज्यपाल की मंजूरी के बाद ही कानून बन पाएगा।
आप नेताओं से मुलाकात के बाद हजारे ने संवाददाताओं से कहा कि आप नेताओं से चर्चा के दौरान उन्होंने यह आशंका जताई कि केंद्र बाधाएं उत्पन्न कर सकता है क्योंकि विधेयक में दिल्ली में भ्रष्टाचार के मामलों की जांच की बात कही गई है, जहां केंद्र सरकार के कार्यालय स्थित हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या वह इस मुद्दे पर आंदोलन करेंगे, उन्होंने कहा, मैंने उन्हें आश्वासन दिया है कि ऐसा मामला होने पर मैं उन्हें अपना पूरा समर्थन दूंगा। मैंने उनसे कहा है कि मैं उनके साथ हूं। लोकपाल आंदोलन में केजरीवाल के साथ रहे अन्ना हजारे ने कहा कि केंद्र सरकार के पास भ्रष्टाचार से लड़ने की इच्छाशक्ति का अभाव है और भ्रष्टाचार से निपटने के मुद्दे पर संकुचित रवैया नहीं होना चाहिए। अन्ना ने कहा कि अगर केंद्र की राजग सरकार जनलोकपाल विधेयक के रास्ते में और खासतौर पर केंद्र सरकार के अधिकारियों को इसके दायरे में लाने के विवादास्पद प्रावधान के रास्ते में अवरोध डालती है तो वह हस्तक्षेप करेंगे। अन्ना ने संवाददाताओं से कहा, आप आगे बढि़ये। मैं देखता हूं कि क्या इन प्रावधानों का विरोध किया जाता है। उनका विरोध नहीं होना चाहिए। अगर संभावित रूप से अच्छे लोकपाल के रास्ते में अवरोध पैदा किए जाते हैं तो यह दुखद होगा। अन्ना ने कहा कि केंद्र का भ्रष्टाचार मुक्त भारत करने का कोई इरादा नहीं है। अन्ना और उनकी टीम के कुछ अहम कार्यकर्ता 2012 में केजरीवाल नीत समूह से उनके राजनीतिक दल बनाने की योजना के विरोध में अलग हो गए थे।
लोकपाल के सदस्यों की नियुक्ति और हटाने की प्रक्रिया की पूर्व आप नेताओं प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव के साथ भाजपा ने भी आलोचना की थी और दिल्ली विधानसभा में मुख्य विपक्षी पार्टी ने केजरीवाल पर मूल रूप से बनाए गए प्रावधानों को हल्का करके सबसे बड़ा धोखा देने का आरोप लगाया गया है।