Advertisement

डिग्री विवाद पर ‘आप’ के मंत्री की सफाई

स्नातक और कानून के फर्जी प्रमाण पत्र बनवाने के आरोप झेल रहे दिल्ली के कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर ने खुद पर लग रहे सभी आरोपों का खंडन किया और कहा कि यह आम आदमी पार्टी (आप) की छवि धूमिल करने की भाजपा की साजिश है।
डिग्री विवाद पर ‘आप’ के मंत्री की सफाई

उनकी पार्टी ने भी यह कहते हुए मंत्री का समर्थन किया है तोमर 20 अगस्त को अदालत में अपना जवाब दाखिल करेंगे और तब तक सब्र से काम लिया जाना चाहिए। तोमर ने कहा जब सारे रिकार्ड अदालत के सामने पेश किए जाएंगे तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। उन्होंने कहा कि उनकी सारी डिग्रियां और प्रमाणपत्र असली हैं और विश्वविद्यालय रिकार्ड के साथ छेड़छाड़ की गई है। फर्जी डिग्री होने के आरोप झेल रहे तोमर ने यहां दिल्ली सचिवालय में पत्रकारों से कहा, सारे प्रमाणपत्र शत प्रतिशत असली हैं।

बिहार के तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में हलफनामा देकर बताया कि तोमर के अंतरिम प्रमाण पत्र फर्जी हैं और संस्थान के रिकार्ड में नहीं हैं। विश्वविद्यालय ने न्यायमूर्ति राजीव शकधर की पीठ के सामने दायर हलफनामे में कहा कि विश्वविद्यालय रिकार्ड के अनुसार क्रमांक 3687 वाला अंतरिम प्रमाणपत्र, जिसे तोमर अपना कानून का प्रमाण पत्र बता रहे हैं और जिस पर विश्वविद्यालय रजिस्ट्रार के हस्ताक्षर भी है, दरअसल 29 जुलाई, 1999 को संजय कुमार चौधरी को 1998 में हुई बीए (ऑनर्स) राजनीति विज्ञान के लिए जारी किया गया था। हलफनामे के अनुसार तोमर के नाम का प्रमाणपत्र फर्जी दस्तावेज है जिसपर रजिस्‍स्ट्रार के जाली हस्ताक्षर बनाए गए हैं और यह दस्तावेज विश्वविद्यालय के रिकार्ड में नहीं है।

इस बारे में तोमर ने पत्रकारों से कहा, जब अदालत सारे रिकार्ड एवं रजिस्टर मंगाएगी तब सबकुछ साफ हो जाएगा। अदालत में दायर याचिका राजनीति से प्रेरित है क्योंकि भाजपा अपनी हार पचा नहीं पा रही है। तोमर के समर्थन में आप भी आ गई है। उसके एक प्रवक्ता ने कहा, मामला अदालत में विचाराधीन है। अगली सुनवाई 20 अगस्त को है। मैं समझता हूं कि हमें 20 अगस्त तक इंतजार करना चाहिए। मेरा दृढ़ विश्वास है कि पार्टी की विचारधारा एवं सिद्धांतों का पालन करते हुए वह अदालत में जवाब देंगे।

उन्होंने कहा कि विपक्ष को यह समझने की जरूरत है कि मामला अदालत में विचाराधीन है और उन्हें इंतजार करना चाहिए क्योंकि तोमर प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के तहत अपने अधिकार के अनुसार जवाब दाखिल करेंगे। विपक्षी दलों ने तोमर प्रकरण पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से इस्तीफा मांगा है।

तिलका मांझी विश्वविद्यालय का हलफनामा हाईकोर्ट के नोटिस के जवाब में आया है। हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मांग की गई थी कि तोमर को मंत्री पद से हटाने का आदेश दिया जाए क्योंकि उन्होंने स्नातक की फर्जी डिग्री के आधार पर कानून में दाखिला लिया था। तोमर का कहना था कि उन्होंने डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक की डिग्री ली है मगर अवध विश्वविद्यालय ने अपनी जांच के बाद पाया कि तोमर की डिग्री जाली है। इसके बाद दिल्ली बार काउंसिल ने तोमर के वकालत का लाइसेंस रद्द कर दिया था। अदालत ने दिल्ली बार काउंसिल और तोमर दोनों को 20 अगस्त तक अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है।

इस बीच दिल्ली हाईकोर्ट ने यह संकेत भी दे दिया है कि वह इस आधार पर मामले को खारिज नहीं होने देगी कि याचिकाकर्ता अपनी याचिका वापस लेना चाहे या मामले की पैरवी से पीछे हट जाए। इसके लिए कोर्ट ने राज शेखर राव नामक वकील को न्याय मित्र नियुक्त किया है जो इस मामले में अदालत की मदद करेंगे। ऐसा करने की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि याचिकाकर्ता संतोष कुमार शर्मा सुनवाई के लिए उपस्थित नहीं हो रहे हैं। कोर्ट ने अगली सुनवाई पर उन्हें भी मौजूद रहने का निर्देश दिया है।

Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad