दिल्ली की जनता को 15 जनवरी के बाद सम-विषम गाड़ियों के नंबरों से निजात मिलने जा रही है। इतना स्पष्ट संकेत दिल्ली सरकार ने दिया है कि 15 जनवरी को इस नए प्रयोग को रोककर इसकी विवेचना करेगी और उसके बाद ही आगे कोई नीतिगत फैसला लेगी।
इस बाबत दिल्ली के परिवहन और श्रम मंत्री गोपाल राय ने खास मुलाकात में आउटलुक को बताया कि यह एक 15 दिनों का प्रयोग था और फिलहाल इसे आगे इसी तरह से बढ़ाने का विचार नहीं है। लेकिन एक बात पर दिल्ली सरकार कटिबद्ध है कि वह दिल्ली को प्रदूषण मुक्त बनाएगी। गोपाल राय ने यह भी बताया कि दिल्ली को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए सिर्फ सम-विषम नबंरों की निजी गाड़ियों को चलाने की योजना भर नहीं है। इसी के तहत हर महीने की 22 तारीख को कार मुक्त दिवस के रूप में बनाने का फैसला लिया गया। निर्माण कार्य़ में होने वाले वायू प्रदूषण को कम करने की योजना बनी। यह एक वृहद योजना का छोटा हिस्सा भर है। इस पर जिस तरह से दिल्ली वासियों ने सहयोग किया, उससे साफ है कि हर कोई प्रदूषण से मुक्ति चाहता है।
इसके साथ ही दिल्ली सरकार बड़े पैमाने पर बसों, टैक्सियों और ऑटो को उतारकर परिवहन के एक बिजनेस मॉडल पर काम कर रही है। इस बारे में अलग-अलग सवाल भी उठ रहे हैं। आखिर लोग अपनी निजी कार को सम-विषम के हिसाब से चलाने के लिए मजबूर किए जा रहे हैं, लेकिन टैक्सियों पर यह रोक नहीं है। सवाल यह है कि क्या टैक्सियां प्रदूषण नहीं फैलाती। इस सवाल का सीधा जवाब गोपाल राय देने के बजाय यह बताते हैं कि बड़ी संख्या में बसों को दिल्ली में उतारा जाएगा। इसके लिए टेंडर आदि प्रक्रिया चल रही है। अगर बड़ी बसों और कनेक्टिविटी के लिए छोटी बसों का जाल दिल्ली में फैला दिया जाए, तो निजी स्तर पर कार की जरूरत कम हो जाएगी।
दिल्ली जैसे हाई-प्रोफाइल और स्टेट सिंबल वाले शहर में यह कितना हो पाएगा, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन यह तय है कि इस उच्च वर्ग के नाम पर जन परिवहन पर खर्चा जरूर बढ़ जाएगा।