हालांकि, उन्होंने बताया कि चार दंगा प्रभावित थाना क्षेत्र मानगो, आजाद नगर, ओलिडीह और एमजीएम में सुबह पांच बजे से लेकर शाम आठ बजे तक कर्फ्यू में ढील दी गई है। इन इलाकों में रात का कर्फ्यू जारी रहेगा।
उधर दंगे को लेकर नेता और अधिकारी एक दूसरे के सामने आ गए हैं। राज्य के मंत्री और स्थानीय विधायक सरयू राय ने आरोप लगाया है कि पुलिस अधिकारियों ने समय पर कार्रर्वा नहीं की इसलिए स्थिति इतनी खराब हो गई। दूसरी ओर वरिष्ठ पुलिस अधिकारी नाम नहीं छापने के शर्त पर मीडिया को यह जानकारी दे रहे हैं कि हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा अचानक से बंद की घोषणा कर देने से स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई। यह बंद ऐसे समय घोषित किया गया जब अधिकांश बच्चे स्कूलों में पहुंच चुके थे। बंद समर्थक द्वारा दुकानें बंद करा दी गईं और सड़कों पर अवरोधक लगा दिए गए। ऐसे में बच्चों की सुरक्षा को लेकर उनके अभिभावकों में अफरातफरी मच गई और स्थिति और खराब हो गई।
गौरतलब है कि पिछले 20 जुलाई को दो प्रतिद्वंद्वी समूहों के बीच संघर्ष भड़क जाने के बाद से शहर के विभिन्न इलाकों में सुरक्षा बलों को तैनात किया गया था। एक समुदाय ने दूसरे समुदाय के कुछ युवकों पर एक युवती से छेड़खानी का आरोप लगाया जिसके बाद हिंसा भड़क उठी। हालांकि जिला उपायुक्त डॉक्टर अमिताभ कौशल और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अनूप टी मैथ्यू ने 24 जुलाई की रात एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि किसी तरह के छेड़छाड़ की घटना की कोई आधिकारिक शिकायत नहीं मिली है। जिस लड़की से छेड़खानी का आरोप लगाया जा रहा है उसके बारे में किसी ओर से कोई जानकारी नहीं मिली है। इन अधिकारियों ने यह भी कहा कि यह संघर्ष पुरानी रंजिश को लेकर दो प्रतिद्वंद्वी गुटों के बीच विवाद के कारण भड़का था। पुराने जानकार बताते हैं कि जमशेदपुर में सबसे भयानक दंगा वर्ष 1979 में भड़का था।