पंजाब, मध्यप्रदेश समेत देश के सात राज्यों में किसान हड़ताल पर हैं। किसान संगठनों ने केंद्र सरकार के खिलाफ 10 दिवसीय आंदोलन की घोषणा की है। मध्यप्रदेश के मंदसौर में किसानों ने शहर से बाहर फल और सब्जियों को भेजे जाने पर रोक लगा दी है। किसानों ने यह आंदोलन सरकार द्वारा किए गए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) भुगतान के वादे को जल्द से जल्द पूरा करने को लेकर किया है। आंदोलन शुरू करने से पहले किसान मंदिर पहुंचे और भगवान का दूध से अभिषेक किया।
क्या हैं किसानों की मांग?
पंजाब के फरीदकोट में किसानों ने अपनी सब्जियां, फल और दूध को सड़क पर फेंक दिया है और इनकी आपूर्ति शहरों में करने पर रोक लगा दी है। किसानों की मांग है कि उनके ऋण को माफ किया जाए और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू किया जाए। पिछले साल 6 जून को मंदसौर में हड़ताल कर रहे किसानों पर फायरिंग की गई थी। 10 दिनों की हड़ताल के चलते मंदसौर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। किसानों का कहना है कि वह किसान अवकाश के दौरान शहरों तक फल, सब्जियां और अनाज की आपूर्ति नहीं करेंगे।
Farmers continue their protest for the second day as they observe 10-day 'Kisan Avkash'. Visuals from #Ludhiana pic.twitter.com/jn4VXwBQTx
— ANI (@ANI) June 2, 2018
लोगों को हो सकती हैं मुश्किलें
किसानों के देशव्यापी आंदोलन के तहत कई संगठनों ने एक से दस जून तक सामान न बेचने का ऐलान किया है। इसके चलते लोगों को मुश्किल हो सकती है। हालांकि सभी संगठन आंदोलन में शामिल नहीं हैं। राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के अध्यक्ष शिव कुमार शर्मा का कहना है कि हमारे साथ 130 से ज्यादा किसान संगठन हैं। यह अब देशव्यापी आंदोलन बन गया है। हमने इसे गांव बंद का नाम दिया है। हम शहरों तक नहीं जाएंगे क्योंकि हम लोगों के सामान्य जीवन को प्रभावित नहीं करना चाहते हैं।
6 जून को मंदसौर गोलीकांड की पहली बरसी है। कांग्रेस ने इस मौके पर राहुल गांधी की सभा आयोजित की है। राहुल ने पिछले साल गोलीकांड के बाद भी मंदसौर पहुंचने की कोशिश की थी, पर कामयाब नहीं हो पाए थे।
#Delhi: Vendors at Okhla vegetable market say prices have shot up due to country-wide farmers' protest. pic.twitter.com/beS3IxBN9L
— ANI (@ANI) June 2, 2018