चक्रवात दाना के ओडिशा तट की ओर बढ़ने के मद्देनजर अधिकारियों ने गुरुवार को श्रद्धालुओं को पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर में न जाने की सलाह दी तथा 12वीं शताब्दी के इस मंदिर पर आपदा के प्रभाव को न्यूनतम करने के लिए तैयारियां तेज कर दी।
पुरी के जिला कलेक्टर सिद्धार्थ एस स्वैन ने कहा कि सुरक्षा उपाय के तौर पर एक महीने तक चलने वाले 'कार्तिक ब्रत' अनुष्ठान में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं सहित अन्य श्रद्धालुओं को भी मंदिर में आने से हतोत्साहित किया जाना चाहिए।
श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) ने एक बयान में कहा कि समुद्र तटीय शहर में स्थित मंदिर की सुरक्षा के लिए सभी उपाय किए जा रहे हैं, जबकि दैनिक अनुष्ठान भी जारी रहेंगे।
प्रशासन ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए गए हैं कि जीएल शीट, मचान ट्यूब और अन्य जैसी ढीली सामग्री तूफान से प्रभावित न हो।
आईएमडी के पूर्वानुमान के अनुसार, शुक्रवार को सुबह चक्रवात दाना के आने के दौरान पुरी जिले में अधिकतम 80 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से हवा चलने की संभावना है। जिले में भारी बारिश भी होगी।
मंदिर को हवा और पानी से बचाने के लिए प्रशासन ने इसकी खिड़कियों और दरवाजों की जांच कर दी है, ताकि वे उड़ न जाएं। सभी अस्थायी टेंट हटा दिए गए हैं और एस्बेस्टस की छतों पर रेत की बोरियां रख दी गई हैं ताकि छतों का वजन बढ़ जाए और चक्रवात के दौरान उन्हें उड़ने से बचाया जा सके।
प्रशासन ने यह भी सुनिश्चित किया है कि पुरी के बाहर से आने वाले नियमित श्रद्धालुओं को सुरक्षित स्थान पर रखा जाए। बुजुर्ग महिलाओं और कार्तिक ब्रत करने वालों के लिए भी विशेष उपाय किए गए हैं।
प्रशासन ने चक्रवात के कारण सीसीटीवी कैमरों को नुकसान पहुंचने से बचाने के लिए भी कदम उठाए हैं। एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि बिजली कटौती की स्थिति में पंप और जनरेटर सेट को अन्य उपकरणों के साथ तैयार रखा गया है।
श्री जगन्नाथ मंदिर के अलावा, जिला प्रशासन और एएसआई ने कोणार्क स्थित 13वीं शताब्दी के सूर्य मंदिर में आने वाले पर्यटकों की सुरक्षा के लिए भी कदम उठाए हैं। एएसआई ने कोणार्क मंदिर को दो दिनों के लिए बंद कर दिया है, जबकि जिला पुलिस ने सभी पर्यटकों को समुद्र तटों पर जाने से रोक दिया है।