Advertisement

धोती-कुर्ता छोड़ लोग पहन रहे कोट तो काहे की मंदी, भाजपा सांसद ने दिया अजीब तर्क

भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार मंदी के आरोपों से चौतरफा घिर रही है। विपक्ष हर दिन...
धोती-कुर्ता छोड़ लोग पहन रहे कोट तो काहे की मंदी, भाजपा सांसद ने दिया अजीब तर्क

भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार मंदी के आरोपों से चौतरफा घिर रही है। विपक्ष हर दिन बेरोजगारी और बाजार की मंदी के आंकड़े जारी कर रहा है। हाल ही में आए बजट में भी मंदी से निपटने या अर्थव्यवस्था में तेजी के कोई ठोस संकेत नहीं मिले हैं। सत्तारूढ़ पार्टी के नेता अपनी सरकार के बचाव में हर संभव प्रयास कर रहे हैं। लेकिन बलिया सांसद ने मंदी न होने की जो वजह बताई है, उससे हर व्यक्ति लाजवाब हो गया है।

कोट-जैकेट तो काहे की मंदी

बलिया से भारतीय जनता पार्टी के सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने मंदी की परिभाषा बदल दी है। उनका कहना है कि लोगों ने ‘धोती-कुर्ता’ जैसे पारंपरिक परिधान पहनना छोड़ कर कोट और जैकेट पहनना शुरू कर दिया है, जो बताता है कि देश में मंदी नहीं है! रविवार को एक सार्वजनिक समारोह में सांसद ने कहा, “दिल्ली और दुनिया में, मंदी को लेकर चर्चा हुई है। अगर कोई मंदी होती तो हम यहां कुर्ता और धोती पहन कर आते न कि कोट और जैकेट पहनकर। अगर मंदी होती तो हम कपड़े, पैंट और पजामा नहीं खरीदते।” वीरेन्द्र सिंह ने कहा कि भारत सिर्फ महानगरों का ही देश नहीं है, यह गांवों का देश है।

मंदी के आंकड़ों पर नहीं गांव पर बात

अपनी बात आगे बढ़ाते हुए सिंह ने कहा, “मैं आपको बताना चाहता हूं कि भारत 6.5 लाख गांवों का देश है, न कि दिल्ली, मुंबई और हैदराबाद जैसे शहरों का। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी, डॉ. हेडगेवार, श्यामा प्रसाद मुखर्जी और जयप्रकाश नारायण जैसे नेताओं ने ग्रामीण भारत में विश्वास व्यक्त किया था और देश को आजादी दिलाने में मदद की थी।

मंदी को लेकर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल भाजपा सरकार पर हमेशा से अर्थव्यवस्था के कुप्रबंधन का आरोप लगाते रहे हैं। विपक्ष दावा करता है कि मोदी सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था के कुप्रबंधन के कारण ही ज्यादातर लोगों की आजीविका की स्थिति में गिरावट आई है।

13 जनवरी को जारी सरकारी आंकड़ों से पता चला है कि खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर 2019 में बढ़कर 7.35 प्रतिशत हो गई थी, जबकि पिछले महीने में यह दर 5.54 प्रतिशत थी।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad