प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जल्द ही गुजरात के संदेसरा बंधुओं के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत आरोप पत्र दायर करेगा। पीटीआई के मुताबिक, संदेसरा बंधु स्टर्लिग बायोटेक दवा कंपनी के प्रमोटर हैं और कथित तौर पर 5000 करोड़ रुपये से ज्यादा के बैंक कर्ज धोखाधड़ी मामले में फरार हैं। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
विदेश में बदल रहे हैं ठिकाने
पीटीआई के मुताबिक, अधिकारियों ने कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसी इसके बाद इन भाइयों और अन्य आरोपियों के खिलाफ आपराधिक शिकायत के आधार पर इंटरपोल से रेड कॉर्नर नोटिस (वैश्विक गिरफ्तारी वारंट) जारी करवाने की कोशिश करेगी। उन्होंने कहा कि अभी वे कहां हैं इसका उन्हें ठीक-ठीक पता नहीं है। वे यूएई से लेकर नाइजीरिया तक स्थान बदल रहे हैं। उन्होंने कहा कि धनशोधन निरोधक अधिनियम (पीएमएलए) के तहत आरोप-पत्र अगले एक पखवाड़े के अंदर विशेष अदालत में दायर किये जाने की उम्मीद है।
पिछले साल दर्ज हुआ था मनी लॉन्ड्रिंग का मामला
एजेंसी ने कहा कि उसने इस मामले में संदेसरा बंधुओं- चेतन जयंतीलाल संदेसरा और नितिन जयंतीलाल संदेसरा और उनकी वडोदरा स्थित कंपनी स्टर्लिंग बायोटेक लिमिटेड और अन्य के खिलाफ पिछले साल अक्तूबर में पीएमएलए का मामला दर्ज किया था। इससे दो दिन पूर्व ही सीबीआई ने 5,700 करोड़ रुपये की कथित बैंक धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार को लेकर उनके खिलाफ मामला दर्ज किया था।
2012 के दौरान दिया गया था बैंकों से कर्ज
ईडी ने एक बयान में कहा, ‘वर्ष 2004-2012 के दौरान विभिन्न बैंकों द्वारा 5,700 करोड़ रूपये का कर्ज दिया गया। अगस्त 2017 में आरोपियों के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी किये गए थे।’ इसमें कहा गया, ‘जांच के दौरान तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया इनमें से एक गगन धवन है जो कर्ज की मंजूरी के समय सत्ता केंद्रों का करीबी था।’
सीबीआई ने दर्ज की थी एफआईआर
ईडी ने सीबीआई के एफआईआर के आधार पर धनशोधन जांच शुरू की थी। सीबीआई ने कथित बैंक धोखाधड़ी मामले में स्टर्लिग बायोटेक, इसके निदेशकों चेतन जयंतीलाल संदेसरा, दीप्ति चेतन संदेसरा, राजभूषण ओमप्रकाश दीक्षित, नितिन जयंतीलाल संदेसारा और विलास जोशी, चार्टर अकांटेंट हेमंत गर्ग और कुछ अन्य लोगों के नाम शामिल थे।
सीबीआई एफआईआर में दर्ज कुल बकाये की राशि
सीबीआई एफआईआर के अनुसार, स्टर्लिग बायोटेक ने आंध्रा बैंक की अगुवाई वाले बैंकों के संघ से 5,000 करोड़ रुपये का ऋण लिया था, जो बाद में गैर निष्पादित संपत्ति(एनपीए) बन गया। 31 दिसंबर, 2016 को कंपनी पर कुल बकाया 5,383 करोड़ रुपये था।