केरल में हाल ही में हुए स्थानीय निकाय चुनावों के नतीजों से पता चलता है कि राज्य के 22 स्थानीय निकायों में परिषदों में कोई विपक्षी सदस्य नहीं होगा, जो इन निकायों में शासन और निर्णय लेने के एकपक्षीय मॉडल का मार्ग प्रशस्त करेगा।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, 22 स्थानीय निकायों में से 19 परिषदों में पूरी तरह से सीपीएम के नेतृत्व वाले लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) के सदस्य ही होंगे। इस फ्रंट में सीपीएम के अलावा सीपीआई, केसी (एम), एलआईडी, जेडी (एस), एनसीपी जैसी पार्टियां शामिल हैं। दो स्थानीय निकायों में पूरी तरह से ट्वेंटी 20 के सदस्यों का प्रभुत्व होगा, जो एक कपड़ा निर्माण कंपनी केटेक्स ग्रुप द्वारा समर्थित एक राजनीतिक संगठन है। एक स्थानीय निकाय में इसकी परिषद पूरी तरह से कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ सदस्यों की होगी।
नतीजे बताते हैं कि एलडीएफ के सदस्य 13 ग्राम पंचायतों के सभी वार्डों, पांच ब्लॉक पंचायतों और एक नगरपालिका में चुने गए थे। इन निकायों में से अधिकांश ग्रामीण कन्नूर, माकपा के किले और मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के गृह जिले में स्थित हैं। वास्तव में, जिस पंचायत में मुख्यमंत्री का घर है, एलडीएफ चुनाव में पूरी तरह से बह गया था।
जिन पंचायतों में एलडीएफ ने स्वीप किया, उसमें कासरगोड जिले के बेदादका और कयूर-चेमेनी, चेरुथज़हम, चित्तरिपारंबु, एज़ोम, कादिरुर, कालियासरी, कंकोल-अलापदंबु, कन्नापुरम, करिवेलूर-पेरलम, पनियन्नूर और पिनियान्नुर और पिनियान्नूर हैं। ब्लॉक पंचायत कन्नूर जिले में पनूर और थालास्सेरी, पलक्कड़ जिले में अलथुर और ओट्टापलम और त्रिशूर जिले में चन्नूर हैं। एंथूर नगर पालिका में भी, परिषद में पूरी तरह से एलडीएफ पार्षद होंगे। मलप्पुरम जिले में वेंगरा ब्लॉक पंचायत एकमात्र स्थानीय निकाय है, जहां यूडीएफ, विशेष रूप से इसके घटक आईयूएमएल का बोलबाला है। यह क्षेत्र आईयूएमएल के राष्ट्रीय महासचिव पीके कुन्हालीकुट्टी का गढ़ है।
ट्वेंटी 20, जिसने 2015 में किज़क्कमबलम पंचायत में पहली बार चुनावी सफलता का स्वाद चखा, वह इस बार तीन और पंचायतों में अपना विस्तार करने में सफल रहा। इस चुनाव में एलडीएफ, यूडीएफ और एनडीए जैसे मुख्यधारा के मोर्चों को चुनौती देने वाले संगठन का वर्चस्व एर्नाकुलम जिले के किझक्कमबलम और एक्करानादु पंचायतों के सभी वार्डों में देखा गया, था, जिन परिषदों में कोई विपक्ष नहीं है।