बिहार की राजधानी पटना में एक महिला कॉन्सटेबल की कथित तौर पर इलाज के लिए पर्याप्त छुट्टी नहीं मिलने से मौत के बाद साथी कॉन्सटेबलों ने अधिकारियों पर हमला कर दिया। 300 से अधिक कॉन्सटेबलों के हमले में तीन पुलिस अधिकारियों और दो पत्रकारों सहित काफी संख्या में महिलाओं पर हमला किया गया। कॉन्सटेबलों ने शिकायत की कि बिना बुनियादी सुविधा मुहैया कराए अधिक घंटे तक काम कराए जाते हैं।
उनका कहना है कि महिला कॉन्सटेबल की मौत लापरवाही और उसके वरिष्ठ अधिकारियों के अमानवीय रुख के कारण हुआ। एक कॉन्सटेबल ने बताया कि उसने कथित तौर पर डेंगू की शिकायत की और छुट्टी की मांग की थी। लेकिन, कई बार आग्रह के बावजूद उसे छुट्टी नहीं मिली।
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में पुलिसवालों को थानों में तोड़फोड़ करते और एलईडी टेलीविजन एवं फर्नीचर बिखेरते नजर आ रहे हैं। जब एक वरिष्ठ अधिकारी मोहम्मद मसलेहुद्दीन ने उन्हें रोकना चाहा तो उन्होंने उनके सिर पर बैटन से मारा। डीएसपी मसलेहुद्दीन के परिवार ने बताया कि उनकी स्थिति गंभीर थी और उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उन्होंने बताया, “सबसे पहले उन पर दफ्तर में हमला किया गया और मारा गया। जब उन्होंने बच निकलने की कोशिश की और ऑफिशियल क्वार्टर पहुंचे तो वहां वहां जबरदस्ती घुसने लगे और उन्हें मारने की कोशिश की।”
उधर, पूरे मामले में बिहार के डीजीपी के.एस. द्विवेदी ने कहा कि इस तरह की अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। प्रदर्शनकारियों को सजा दी जाएगी और उन्हें अनुशासन का पालन करने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मामले में द्विवेदी से रिपोर्ट मांगी है। इंसपेक्टर जनरल एन.एच. खान की अध्यक्षता में जांच के आदेश दे दिए गए हैं।