दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने एक संवाददाता सम्मेलन में यह घोषणा की। उन्होंने कहा, हमने आम-सहमति से निगम चुनावों में नये चेहरे उतारने का फैसला किया है। पार्षदों और पार्टी नेताओं के परिजनों को भी टिकट नहीं दिये जाएंगे।
साल 2007 से दिल्ली के नगर निगमों पर नियंत्रण रखने वाली भाजपा जुए की तरह यह दांव खेल रही है। वह नहीं चाहती कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस मौजूदा पार्षदों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगा पाएं।
तिवारी ने कहा कि यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की युवा शक्ति से संचालित न्यू इंडिया की सोच को मूर्त रूप देने की दिशा में एक कदम है। संवाददाता सम्मेलन में दिल्ली से भाजपा के सांसद हर्षवर्धन, महेश गिरि, प्रवेश वर्मा और उदित राज मौजूद थे जिसे पार्टी में इस फैसले को लेकर एकता प्रदर्शित करने के रूप में देखा जा रहा है।
जब तिवारी से पूछा गया तो उन्होंने इन अटकलों को खारिज कर दिया कि इससे अंतर्विरोध बढ़ सकता है और वर्तमान पार्षद पार्टी के खिलाफ विद्रोह कर सकते हैं। उन्होंने कहा, भाजपा में लोग पद के लिए काम नहीं करते। सभी मिलकर काम करेंगे और जनता भी इसे स्वीकार करेगी।
तिवारी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भी निशाना साधते हुए कहा कि पंजाब और गोवा के नतीजों ने आप को आइना दिखा दिया है और यही हालत उसकी दिल्ली में भी होगी।
दिल्ली के तीन नगर निगमों- उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी), दक्षिण दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) और पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) की कुल 272 सीटों में से भाजपा के 153 पार्षद हैं। एनडीएमसी और एसडीएमसी में 104-104 सीटें और ईडीएमसी में 64 सीटें हैं।
भाषा