बांबे हाई कोर्ट ने सोमवार को रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड (MMOPL) द्वारा मुंबई मेट्रो के वर्सोवा-घाटकोपर रूट पर बढ़ाए जा रहे किराए पर रोक लगा दी है।
पीटीआई के मुताबिक, चीफ जस्टिस मंजुला चेल्लुर और जस्टिस एम एस सोनाक की बेंच ने जुलाई 2015 के मेट्रो फेयर फिक्सेशन कमेटी के निर्णय को एक ओर कर दिया जिसके अनुसार किराए में बढ़ोतरी को मंजूरी दी गयी थी। इसके तहत 10 से 40 रुपया और 10 से 110 रुपया तक किराया को बढ़ाया जाना था।
बेंच ने यह भी निर्देश दिया कि मेट्रो रेलवेज एक्ट के अनुसार फेयर फिक्सेशन कमेटी को दोबारा से गठित किया जाएगा। चीफ जस्टिस चेल्लूर ने कहा, नई कमेटी किराए पर विवाद का समाधान करेगी। कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने भी किराया बढ़ोत्तरी मामले को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी।
जून 2014 में जब मेट्रो ऑपरेशन शुरू हुआ तब किराया 11.4 किमी की दूरी के लिए किराया 10 रुपये था। जो दूरी के अनुसार, 40 रुपये तक निर्धारित किया गया था। 2015 जुलाई में फेयर फिक्सेशन कमेटी ने 10-40 रुपये तक के मौजूदा किराया में बदलाव कर नया किराया 10-110 रुपये का सुझाव दिया। इसके बाद MMOPL ने नुकसान का हवाला देते हुए 1 दिसंबर 2015 से किराए में पांच रुपये की वृद्धि की घोषणा की। मुंबई मेट्रो को कमिशन करने वाला MMRDA फेयर फिक्सेशन कमेटी व MMOPL के प्रस्तावित किराया बढ़ोतरी के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंचा।
17 दिसंबर 2015 को हाई कोर्ट ने अंतरिम आदेश देकर प्रस्तावित किराया बढ़ोतरी पर रोक लगा दी। हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ MMOPL सुप्रीम कोर्ट पहुंचा लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मामले में दखलंदाजी से इनकार कर दिया और हाई कोर्ट को अंतिम आदेश देने को कहा।