केंद्र सरकार अब बिना राज्य की मंजूरी के देश के किसी भी राज्य में संदिग्ध के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सुरक्षा बलों को व्यापक अधिकार देने वाला विवादस्पद कानून आफ्स्पा लगा सकता है। आफ्स्पा के तहत जम्मू कश्मीर के किसी भी क्षेत्र को ‘अशांत’ घोषित किया जा सकता है। केंद्र को खुद को अब इसका अधिकार मिल गया है।
सेना को मिलता है विशेषाधिकार
इससे पहले, राज्य सरकार को आफ्स्पा के तहत एक विशेष जिला या पुलिस थाना क्षेत्र को ‘अशांत’ घोषित करने का अधिकार दिया गया था, जिसमें सुरक्षा बल किसी भी संदिग्ध को हिरासत में रख सकते हैं, तलाशी ले सकते हैं यहां तक कि संदिग्ध को बिना वारंट गोली भी मार सकते हैं। यह कानून ऐसा कोई भी कदम उठाने पर सैनिक की रक्षा करता है।
एक सरकारी नोटिफिकेशन के अनुसार, दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में सशस्त्र बल (जम्मू और कश्मीर) विशेष शक्तियां अधिनियम, 1990 (1990 का 21) का प्रशासन अब गृह मंत्रालय (एमएचए) के तहत जम्मू, कश्मीर और लद्दाख मामलों के विभाग के साथ निहित है।
1990 में लागू हुआ था कश्मीर में
आफ्स्पा उन क्षेत्रों में लगाया जाता है जहां सिविल अधिकारियों को सहायता के लिए सशस्त्र बलों की आवश्यकता होती है। आफ्स्पा 1990 से पूर्व की स्थिति पर लागू है। सशस्त्र सेना विशेषाधिकार कानून (अफ्सा) की जरूरत उपद्रवग्रस्त पूर्वोत्तर में सेना को कार्रवाई में मदद के लिए 11 सितंबर 1958 को पारित किया गया था। बाद में जब 1989 में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद ने सिर उठाया तब 1990 में इसे वहां भी लागू किया गया। आफ्स्पा कानून कहीं भी तब लगाया जाता है जब वो क्षेत्र वहां की सरकार अशांत घोषित कर देती है। इसके लिए संविधान में प्रावधान किया गया है और अशांत क्षेत्र कानून यानी डिस्टर्बड एरिया एक्ट मौजूद है जिसके अंतर्गत किसी क्षेत्र को अशांत घोषित किया जाता है। इस कानून के लागू होने के बाद ही वहां सेना या सशस्त्र बल भेजे जाते हैं।