महासमुंद के जलकी इलाके में सरकारी जमीन पर रिसोर्ट बनाने के आरोप में घिरे छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को सोमवार को हाईकोर्ट से राहत मिल गई। इस मामले में रायपुर की पूर्व महापौर और कांग्रेस की नेता किरणमयी नायक ने बिलासपुर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी।
याचिका का हाईकोर्ट ने यह कह कर निपटारा कर दिया कि मामले की जांच राज्य आर्थिक अपराध अनुसन्धान ब्यूरो कर रहा है, इसलिए अलग से जांच के आदेश का कोई औचित्य नहीं है। किरणमयी नायक ने अपनी याचिका में कहा था कि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल और उनके परिजनों ने महासमुंद के जलकी गांव में वन भूमि पर कब्जा कर लिया। इस पर बाउंड्री वॉल बनाने के बाद एक रिसोर्ट भी बनाया गया. लेकिन ग्रामीणों की शिकायत के बाद वन विभाग और राज्य सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। दोनों पक्षों को सुनने के बाद राज्य आर्थिक अपराध अनुसन्धान ब्यूरो के एक शपथ पत्र का हवाला देते हुए अदालत ने कहा कि इस मामले की जांच जारी है।
कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने सरकारी जमीन के कब्जे के आरोपों को सिरे से ख़ारिज करते हुए कलेक्टर महासमुंद को जमीन के मालिकाना हक के दस्तावेज भेजे थे। इन दस्तावेजों में उन्होंने दावा किया था कि यह जमीन उनके मालिकाना हक की है। उन्होंने जमीन के खरीदी बिक्री के दस्तावेज पेश करते हुए उन पर लगे आरोपों को झूठा करार दिया था, हालांकि मामले के तूल पकड़ने पर राज्य सरकार ने जमीन की खरीदी बिक्री और मालिकाना हक की जांच की जवाबदारी राज्य आर्थिक अपराध अनुसन्धान ब्यूरो को सौंप दी थी। इस मामले की 430/207 शिकायत प्रकरण दर्ज कर राज्य आर्थिक अपराध अनुसन्धान ब्यूरो जांच में जुटा है।
राज्य आर्थिक अपराध अनुसन्धान ब्यूरो के डीएसपी अनिल बख्शी ने 27 जून 2018 को हाईकोर्ट में एक एफिडेविट पेश कर मामले की विवेचना की प्रारंभिक रिपोर्ट अदालत को दी थी. सोमवार को बिलासपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी और जस्टिस प्रशांत मिश्रा ने इस याचिका को रद्द कर दिया। अदालत के फैसले के बाद याचिकाकर्ता किरणमयी नायक ने प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि अदालत के रुख से इस मामले की निष्पक्ष जांच की राह खुल गई है। किरणमयी नायक 2013 में बृजमोहन अग्रवाल के खिलाफ विधानसभा चुनाव भी लड़ चुकी है।