बीते 16 मार्च को शक्ति परीक्षण के दौरान 45 साल के राणे की गैर-मौजूदगी कांग्रेस के लिए बड़ी शर्मिंदगी का सबब बन गई थी, क्योंकि मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर की अगुवाई वाली गठबंधन सरकार ने 40 सदस्यीय विधानसभा में 22 विधायकों के समर्थन से अपना बहुमत साबित कर दिया था।
पर्रिकर की ओर से विश्वास मत जीतने के तुरंत बाद वालपोई सीट से विधायक राणे ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था और कहा था कि उन्होंने जिस सीट से अपनी सदस्यता छोड़ी है, वहां फिर से चुनाव लड़ेंगे। राणे ने कांग्रेस के प्रबंधकों पर आरोप लगाया था कि राज्य में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरने के बावजूद उन्होंने सत्ता पर काबिज होने का मौका गंवा दिया।
कांग्रेस को 17 जबकि भाजपा को महज 13 सीटें मिली थीं।
कांग्रेस विधायक दल के नेता चंद्रकांत कावलेकर ने पत्रकारों को बताया कि स्पीकर के चुनाव के तुरंत बाद कांग्रेस संविधान के अनुच्छेद 191 के तहत विश्वजीत राणे पर छह साल तक चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगाने की मांग करेगी।
उन्होंने कहा, कल विधानसभा के स्पीकर के चुनाव के तुरंत बाद कांग्रेस राणे के खिलाफ एक अयोग्यता याचिका दाखिल करेगी।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अपने सभी विधायकों को व्हिप जारी कर कहा था कि वे पर्रिकर की ओर से पेश किए गए विश्वास प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करें।
कावलेकर ने कहा, व्हिप का उल्लंघन करने पर अयोग्यता बनती है।
भाषा