वरिष्ठ कांग्रेस नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रियरंजन दास मुंशी का सोमवार को निधन हो गया। वे साल 2008 से ही बीमार चल रहे थे और कोमा में थे। राजधानी दिल्ली के अपोलो अस्पताल में 72 वर्षीय इस कांग्रेस नेता ने अपनी अंतिम सांस ली।
2008 में दासमुंशी जब संसदीय कार्य मंत्री थे तो उन्हें जबरदस्त दौरा पड़ा और वह लकवाग्रस्त हो गए। इसके चलते वह बोल पाने में भी पूरी तरह असमर्थ हो गए। उनके दिमाग के एक हिस्से में खून पहुंचना बंद हो गया था। उन्हें कृत्रिम सांस दी जा रही थी। खबरों के मुताबिक उनके शरीर के तंत्र ने काम करना बंद कर दिया था। उनके गले से होते हुए पेट तक एक ट्रेचोस्टॉमी ट्यूब लगाई गई थी जिसके जरिए वह सांस ले रहे थे।
वह अपने पीछे पत्नी दीपा दासमुंशी और बेटे प्रियदीप दासमुंशी को छोड़ गए हैं। प्रियरंजन दासमुंशी ने अपनी राजनीतिक जीवन की शुरुआत यूथ कांग्रेस से की थी। वे लोकसभा में पश्चिम बंगाल की रायगंज सीट का प्रतिनिधित्व करते थे। उनके बीमार होने के बाद उनकी पत्नी भी इस सीट से चुनी गईं थी। दासमुंशी1971 में पहली बार संसद पहुंचे थे और 1985 में पहली बार कैबिनेट मंत्री बने थे। करीब 20 सालों तक वे ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन अध्यक्ष भी रहे।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं में वे कितने लोकप्रिय थे इसे इसी बात से समझा जा सकता है कि पिछले साल पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने 90 सदस्यीय जो चुनाव प्रचार समिति बनाई थी उसमें उनका नाम बीमार होने के बावजूद रखा था। उस समय पश्चिम बंगाल कांग्रेस के प्रभारी सीपी जोशी ने कहा था कि यह जरूरी नहीं है कि समिति में शामिल सभी सदस्य चुनाव प्रचार ही करें। इससे आम कार्यकर्ताओं को यह संदेश जाता है कि पार्टी आपके योगदान को हमेशा याद रखती है।