वैक्सीन डोज के प्रमाण पत्र पर प्रधानमंत्री की तस्वीर का मामला ठंडा नहीं पड़ रहा है। पूर्व सांसद फुरकान अंसारी ने अब कड़ी आलोचना की है। उन्होंने इसे शर्मनाक करार दिया है। फुरकान अंसारी के पुत्र और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष इरफान अंसारी सहित कांग्रेस और झामुमो के नेता भी इसकी आलोचना करते रहे हैं। जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर और पंजाब विवि के पूर्व डीन चमन लाल ने तो सिर्फ इसी वजह से टीका लेने से इनकार कर दिया था। इधर राज्य द्वारा अपने खर्च से टीकाकरण और प्रमाण पत्र पर प्रधानमंत्री के बदले मुख्यमंत्री की तस्वीर को लेकर भी आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया है। जब पांच राज्यों में चुनाव था वैक्सीन के प्रमाण पत्र पर प्रधानमंत्री की तस्वीर को लेकर टीएमसी चुनाव आयोग भी पहुंची थी।
बहरहाल फुरकान अंसारी ने कहा है कि टीकाकरण के प्रमाण पत्र पर प्रधानमंत्री की मुस्कुराती हुई तस्वीर है तो कोरोना से मरने वालों के डेथ सर्टिफिकेट पर भी प्रधानमंत्री को अपना फोटो लगवाना चाहिए। आप कोई दिलीप कुमार या राजेश खन्ना जैसे सितारा नहीं हैं जो अपनी तस्वीरें लगवाते हैं। देश में अब तक जितने टीका अभियान चले सब मुफ्त हुए, किसी के प्रमाण पत्र पर प्रधानमंत्री की तस्वीर नहीं लगी। कभी राज्यों से पैसा नहीं मांगा गया, वैक्सीन की दर तय नहीं की गई। आज तीन रेट है। प्रधानमंत्री कारपोरेट के हाथों खेल रहे हैं। कोरोना से लड़ने के लिए 43 हजार करोड़ केंद्र ने प्रस्तावित किया है तो बचे हुए पैसे को किस खाते में डाल रहे हैं। नेहरू, गांधी परिवार की आलोचना करने में लगे हैं मगर कांग्रेस के शासन में लगे कल-कारखाने से ही आज देश में ऑक्सीजन के सिलेंडर जा रहे हैं। कहते हैं गंगा मैया ने मुझे बुलाया है तो आज उसी मैया को दूषित करने का काम किया है। हजारों लाशें पानी में बह रही हैं।