Advertisement

कोरोना का साइड इफेक्‍ट : झारखण्‍ड में शुरू हुआ ब्‍लैक फंगस का प्रकोप, मिले एक दर्जन से अधिक मरीज

कोरोना संक्रमण के प्रहार से डरे हुए, आहत लोगों को अब ब्‍लैक फंगस ( म्‍यूकोर माइकोसि) का भय सताने लगा...
कोरोना का साइड इफेक्‍ट : झारखण्‍ड में शुरू हुआ ब्‍लैक फंगस का प्रकोप, मिले एक दर्जन से अधिक मरीज

कोरोना संक्रमण के प्रहार से डरे हुए, आहत लोगों को अब ब्‍लैक फंगस ( म्‍यूकोर माइकोसि) का भय सताने लगा है। झारखण्‍ड में एक दर्जन से अधिक ऐसे मरीज मिले हैं। इसे कोरोना के दौरान इस्‍तेमाल होने वाले स्‍ट्रॉयड, एंटी फंगल दवाओं के साइड इफेक्‍ट के रूप में देखा जा रहा है। जान बचाने के लिए लोगों को आंखों को भी निकलवाना पड़ रहा है। रांची में ही कोई चार-पांच लोगों को आंख निकलवाना पड़ा है। चिकित्‍सकों के अनुसार संक्रमण तीखा होने पर मौत हो सकती है। चार पांच दिनों में ही यह अपना रंग दिखा देता है। एक महिला मरीज को दो दिन पहले उसे सिर में तेज दर्द हुआ, चेहरे का आंख की तरफ का एक हिस्‍सा सुन्‍न हो गया, सूजन हो गया और दिखना बंद हो गया। एक युवक को पांच दिनों में परेशानी विकसित हुई। आंख लाल हो गया, चेहरा सुन्‍न और दिखना बंद। इनके संक्रमण वाले एक-एक आंख निकालने पड़े। कुछ लोगों के चेहरे पर आंख के आस-पास भूरे या काले दाग भी हो जा रहे हैं। यह आंख, नाक और दिमाग पर बुरा प्रभाव डालता है। संक्रमण का दिमाग पर असर न पड़े इसलिए आंख निकालना पड़ रहा है।
ईएनटी सर्जन डॉ अभिषेक के अनुसार ब्‍लैक फंगस शुगर के मरीजों और जिनकी रोग निरोधक क्षमता कमजोर है पर तेजी से आक्रमण करता है। जिनका शुगर का स्‍तर ज्‍यादा बढ़ जाता है उन्‍हें यह आसानी से अपनी चपेट में ले लेता है। कोरोना के दौरान स्‍ट्रॉयड के इस्‍तेमाल से शुगर के मरीजों के शुगर का स्‍तर सामान्‍यत: काफी बढ़ जाता है, रोग निरोधक क्षमता भी कम हो जाती है। ऐसे में ज्‍यादा इसी तरह के लोग चपेट में आ रहे हैं। फंगस हवा और जमीन दोनों पर ट्रैवल करता है। डॉ अभिषेक ने खुद ऐसे मरीजों के आंख की सर्जरी की है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad