बदायूं जिले के सहसवान तहसील में एक किसान को बिजली चोरी के करीब 81 हजार रुपये जमा नहीं करने की सजा अपनी जिंदगी देकर चुकानी पड़ गई। तहसील प्रशासन ने आरसी जारी होने के कारण 11 दिन तक उसे हिरासत में रखा, जहां उसकी हालत खराब होने पर ईलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया, लेकिन इस बीच उसकी मौत हो गई। डीएम ने मामले की मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिए हैं और तहसीलदार का तबादला कर दिया गया है।
तहसील क्षेत्र के गांव जरीफनगर निवासी बृजपाल (40) पुत्र ओमपाल पर बिजली चोरी की 81947 रुपये बकाया था। विभाग द्वारा तीन नवंबर 2018 को बकाया की आरसी तहसील भेजी गई थी। तहसील प्रशासन ने 23 सितंबर को बृजपाल को तहसील हवालात में बंद किया था। गुरुवार सुबह उसकी हवालात में अचानक हालत बिगड़ गई। तहसील प्रशासन ने उसे सीएचसी पहुंचाया। जहां से प्राथमिक उपचार के बाद चिकित्सकों ने उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया। जिला अस्पताल ले जाते समय रास्ते में ही बृजपाल की मौत हो गई थी।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मिलीभगत का आरोप
मृतक बृजपाल के भाई महेश ने ‘आउटलुक’ को बताया कि उनके भाई पर प्रशासन ने ऐसा कोई जुल्म नहीं है, जो नहीं किया। यातना की सभी हदें पार कर दीं। घर से मारते हुए लेकर गए थे और उनके गुप्तांगों पर भी हमला किया है। पीछे से खून आ रहा था। हिरासत के दौरान हमें मिलने भी नहीं दिया गया। पोस्टमार्टम में भी मिलीभगत से गलत रिपोर्ट बनवाई गई है। हमें न्याय चाहिए। उनका कहना है कि एसडीएम संजीव कुमार, तहसीलदार धीरेंद्र और अमीन आशाराम के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही की जाए और जेल भेजा जाए।
दोषी पाए जाने पर होगी कार्रवाई
मामले में कमिश्नर बदायूं ने ‘आउटलुक’ को बताया कि प्रथम दृष्टया नियम कानून तोड़ने की बात सामने नहीं आई है। भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति ना हो, इसलिए जांच कराई जा रही है। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कोई टिप्पणी कर पाना उचित होगा और अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।