दिल्ली में प्रतिदिन 20,000 से अधिक लोग कोविड-19 से डायग्नोसड हो रहे हैं। हालांकि, कोविड संक्रमण से अस्पतालों में भर्ती होने के आंकड़े कम आ रहे हैं और अस्पतालों के अनुसार, जो लोग कोविड संक्रमित होकर भर्ती हुए हैं, उनमें से अभी तक किसी को भी ऑक्सीजन की आवश्यकता नहीं पड़ी है।
दिल्ली के लोक नायक जय प्रकाश (एलएनजेपी) अस्पताल में अभी तक ओमिक्रोन-संक्रमित किसी भी व्यक्ति को ऑक्सीजन की ज़रूरत नहीं पड़ी है। गौरतलब हो कि एलएनजेपी कोविड -19 रोगियों के लिए समर्पित सुविधाओं के लिहाज से भारत के सबसे बड़े अस्पतालों में से एक है।
कोरोना की तैयारियों के मद्देनजर, एलएनजेपी की देखरेख में दिल्ली के रामलीला मैदान में 2,000 कोविड बेड्स और 500 अतरिक्त बेड्स भी लगाए गए हैं। हालांकि आंकड़ों के हिसाब अभी तक वहां मात्र 130 कोरोना संक्रमित रोगियों को ही भर्ती किया गया है, जिसमें से मात्र 5 मामलें ओमिक्रोन के हैं।
एलएनजेपी के चिकित्सा निदेशक डॉ सुरेश कुमार का कहना है कि जब से यह नया संस्करण ओमिक्रोन भारत में आया है, हॉस्पिटल ने अभी तक एक भी ऐसे मरीज नहीं देखे हैं जिन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट की ज़रूरत पड़ी हो।
डॉ कुमार ने कहा, “जो भी मरीज भर्ती के लिए आते हैं, उनमें आमतौर पर बुखार, गले में खराश, शरीर में दर्द और कमजोरी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। हमने अब तक 185 पुष्ट ओमिक्रोन रोगियों का इलाज किया है और वे सभी इलाज के बाद चार से सात दिनों के अंदर ठीक हो गए हैं।
डॉ कुमार ने स्पष्ट किया कि उनके अस्पताल ने अब तक 185 ओमिक्रोन रोगियों का इलाज किया गया है। हालांकि, उनकी संख्या 185 से अधिक हो सकती है। चूंकि इन 185 रोगियों में ओमिक्रोन की पुष्टि जीनोम सिक्वेंसिंग के बाद की गई है, इसलिए उन्होंने इसे एक आधिकारिक आंकड़े के रूप में उद्धृत किया है।
उन्होंने आगे कहा, "ओमिक्रोन रोगियों के इलाज से मुझे जो अनुभव प्राप्त हुआ है, उसके आधार पर मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि यह केवल हल्के और मॉडरेट लक्षण पैदा कर रहा है।"
यह पूछे जाने पर कि उनके अनुसार मॉडरेट लक्षण क्या हैं, उन्होंने कहा, "बुखार, शरीर में दर्द, सिरदर्द, थकान कुछ ऐसे सामान्य लक्षण हैं जिनके साथ लोगों को एडमिट किया जा रहा है। पिछले एक महीने में ओमिक्रोन से संकर्मित एक भी ऐसा मरीज नहीं मिला है, जिसे ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत हो।"
डॉ कुमार ने यह भी बताया कि ओमिक्रोन से संक्रमित बच्चों, गर्भवती महिलाओं और कम इम्युनिटी वाले रोगियों को भी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन उन्हें ऑक्सीजन की आवश्यकता नहीं पड़ी और वो एक सप्ताह के भीतर ठीक हो गए।
वर्धमान महवीर मेडिकल कॉलेज और सफदरगंज हॉस्पिटल में कम्युनिटी मेडिसिन के हेड, डॉ (प्रोफेसर) जुगल किशोर कहते हैं, "मैंने अपने अस्पताल में एक भी ओमिक्रोन रोगी नहीं देखा, जिसे ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ी हो। मुझे लगता है कि अस्पतालों में जो स्थिति है, वह मीडिया रिपोर्ट्स में ठीक से नहीं दिखाई जा रही है। यह वास्तविक परिदृश्य के इतर अधिक भय पैदा कर रहा है।
डॉ किशोर ने कहा, “मुख्य रूप से ओमिक्रोन मामलों की तीन श्रेणियां हैं, जिनमें से अधिकांश असिम्प्टोमेटिक और हल्के हैं। जो लोग अस्पतालों में आ रहे हैं उन्हें बस बुखार, खरास और शरीर में दर्द रह रहा है।"
अन्य अस्पताल भी कोरोना के रोगियों को स्वीकार कर रहे हैं, हालांकि, चूंकि उनके नमूने जीनोम अनुक्रमण के लिए नहीं भेजे जा रहे हैं इसलिए वे नहीं जानते कि क्या रोगी ओमिक्रोन से पीड़ित हैं या डेल्टा से। फिर भी उनका कहना है कि ऑक्सीजन की मांग या खपत में कोई उछाल नहीं आया है।
फोर्टिस हॉस्पिटल (शालीमार बाग) में रेस्पिरेटरी विभाग के निदेशक और एचओडी, डॉ विकास मौर्य कहते हैं, “चूंकि अस्पताल में भर्ती होने के लिए आरटीपीसीआर परीक्षण अनिवार्य है, इसलिए कई रोगियों को विभिन्न बीमारियों के लिए भी भर्ती कराया जा रहा है, लेकिन जब वे पॉजिटिव पाए जा रहे हैं, तो उन्हें कोविड-19 के रोगियों की तरह लेवल्ड कर दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा, "मैंने अन्य अस्पतालों में अपने कई दोस्तों से बात की है और वे सभी कहते हैं जब से हमें इस नए वेरिएंट (ओमिक्रोन) के बारे में पता चला है, तब से ऑक्सीजन की खपत में कोई वृद्धि नहीं हुई है। मैंने कुछ कोविड-19 रोगियों को देखा है, जो ऑक्सीजन सपोर्ट पर गए थे, लेकिन तेजी से ठीक हो गए। हालांकि हम नहीं जानते कि वे किस प्रकार से संक्रमित थे क्योंकि हम कोविड -19 रोगियों का जीनोम सिक्वेंसिंग नहीं कर सकते।
फोर्टिस हॉस्पिटल (गुड़गाव) में हेमटोलॉजी विभाग के हेड, डॉ राहुल भार्गव कहते हैं, “वास्तव में, जब से दिल्ली एनसीआर में ओमिक्रोन को डायग्नोसड किया गया है, हमारी ऑक्सीजन की मांग बढ़ने के बजाय कम हो गई है और इससे पता चलता है कि अस्पतालों में आने वाले मरीजों में केवल मॉडरेट लक्षण ही पाए जा रहे हैं।
वे कहते है, “हमारे अस्पतालों में केवल 12 कोविड -19 मरीज हैं औरउनमें से केवल दो लोगों को ऑक्सीजन की ज़रूरत पड़ रही है। चूंकि डेल्टा वेरिएंट से अभी भी लोग संकर्मित हो रहे हैं, इसलिए जिन लोगों को ऑक्सीजन की ज़रूरत पड़ी है वे डेल्टा से संक्रमित हो सकते हैं।"