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तो क्या सोता रहा स्वास्थ्य महकमा, निर्देश पर अमल होता तो तत्काल मिलती निराश्रित बच्चों की सूचना

देहरादून। कोविड-19 से प्रभावित बच्चों के लिए राज्य सरकार ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री...
तो क्या सोता रहा स्वास्थ्य महकमा, निर्देश पर अमल होता तो तत्काल मिलती निराश्रित बच्चों की सूचना

देहरादून। कोविड-19 से प्रभावित बच्चों के लिए राज्य सरकार ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री वात्सलय योजना की घोषणा तो कर दी है, पर सरकार के पास अभी तक लाभार्थियों (कोविड प्रभावित परिवारों के बच्चों) का विवरण नहीं है। राज्य सरकार ने अभी तक केंद्र सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के उस आदेश का भी पालन नहीं किया, जिसमें अस्पताल में भर्ती होने वाले कोविड रोगियों से उनके उन विश्वस्त संबंधियों एवं मित्रों का विवरण नहीं लिया, जिनको किसी अनहोनी में बच्चों की सुपुर्दगी दी जा सके।

चार मई, 2021 को जारी पत्र पर संज्ञान लिया होता तो 22 मई, 2021 राज्य का स्वास्थ्य विभाग मुख्यमंत्री को उस बैठक में तत्काल सूचनाएं उपलब्ध करा देता,जिसमें उन्होंने कोविड में अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चों के लिए विशेष योजना बनाने के निर्देश दिए थे।  

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव राम मोहन मिश्र ने चार मई, 2021 को केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव को लिखे पत्र में  कहा था कि कोविड 19 महामारी में अपने अभिभावकों को खो रहे बच्चों को तत्काल सुरक्षा एवं देखरेख की आवश्यकता है। पत्र में जुवेनाइल जस्टिस एक्ट, 2015 का भी हवाला दिया गया था, जिसमें बच्चों को देखभाल एवं सुरक्षा पर जोर दिया गया है।

पत्र में कहा गया है कि यह बहुत उपयोगी होगा कि यदि अभिभावक स्वयं से अपने विश्वस्त संबंधियों या मित्रों का विवरण उपलब्ध कराएं, जिनसे किसी घटना में संपर्क किया जा सके। साथ ही, राज्यों के स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से भी अस्पतालों एवं कोविड केयर सेंटर के एडमिशन फार्म में उन लोगों के नाम, संबंध, संपर्क के विवरण का कॉलम बनाने को कहा है, जिनको किसी अप्रिय स्थिति में रोगी के बच्चों की सुपुर्दगी दी जानी चाहिए। इससे किसी अनहोनी की स्थिति में रोगी के बच्चों को उनके हित में विश्वस्त व्यक्ति के संपर्क में दिया जा सकेगा। इस तरह के मामलों की सूचना संंबंधित अस्पताल के माध्यम से चाइल्ड वेलफेयर कमेटी की दी जा सकती है।

हाल ही में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शासन के वरिष्ठ अफसरों एवं जिलाधिकारियों के साथ वीडियो कान्फ्रेंसिंग में कोविड प्रभावित परिवारों के उन बच्चों के लिए विशेष योजनाएं बनाने के निर्देश दिए हैं, जिन्होंने महामारी में अपने माता- पिता को खो दिया। अभी तक राज्य सरकार की ओर से कोविड महामारी में निराश्रित हो गए बच्चों का आंकड़ा नहीं आया है। न ही, इस तरह का कोई अप्रिय केस सामने आया है, जिसमें किसी रोगी की मृत्यु होने पर उनके बच्चों की सुपुर्दगी उनके किसी विश्वस्त संबंधी या मित्र को दी गई हो।

अगर, राज्य में किसी कोविड रोगी की मृत्यु होने पर बच्चों के निराश्रित होने का कोई मामला नहीं है, तो यह बहुत अच्छी बात है। पर, यदि अप्रिय घटना होने के बाद भी बच्चों की देखरेख एवं सुरक्षा संबंधी कानून का पालन नहीं हुआ है, जैसा कि पत्र में सूचना दी गई थी, तो यह बच्चों को बड़े जोखिम में डालने वाली लापरवाही हो सकती है।

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कोविड 19 से प्रभावित परिवारों के बच्चों वात्सल्य योजना की शुरुआत की है। हाल में ही एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना के लिए पांच बच्चे चिह्नित हुए है। इससे साफ होता है कि राज्य के स्वास्थ्य विभाग तथा महिला एवं बाल विकास विभाग ने इस संबंध में पूर्व में जारी केंद्र सरकार के पत्र को गंभीरता नहीं लिया। यदि ऐसा होता तो पूरा विवरण सामने होता।

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