दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को ऑटो रिक्शा का किराया बढ़ाने के दिल्ली की आप सरकार के 12 जून के फैसले पर रोक लगा दी है। एनजीओ की ओर से याचिका दायर कहा गया है कि किराया बढ़ाने की अधिसूचना उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना कर दी गई, जो गैर कानूनी है। मामले में अब 21 मई को सुनवाई होगी।
इससे पहले हाई कोर्ट ने पिछले साल 8 जुलाई को ऑटो रिक्शा किराए में वृद्धि के आप सरकार के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। हालांकि, कोर्ट ने केंद्र, दिल्ली सरकार, उसके परिवहन विभाग और जनहित संशोधन आयोग को नोटिस जारी किया था। याचिका में अधिसूचना को यह कहते हुए चुनौती दी गई कि अधिकारियों ने दिल्ली में ऑटो किराए में संशोधन किया है, इससे उन निवासियों पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है जो पहले से ही ऑटो चालकों के अनियंत्रित व्यवहार और बहुत ज्यादा राशि वूसलने से पीड़ित हैं।
अधिकारों को लेकर दी दलील
एनजीओ की ओर से पेश अधिवक्ता डी पी सिंह ने कोर्ट को बताया कि उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना अधिसूचना जारी की गई थी। वहीं आप सरकार के वकील रमेश सिंह ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि इस मुद्दे में निर्णय लेने की शक्ति दिल्ली सरकार के पास है न कि एलजी के पास। हालाकि, याचिका का केंद्र सरकार के वकील जसमीत सिंह ने समर्थन दिया, उन्होंने कहा कि इसे तय किया जाना चाहिए।
किया गया संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन
अधिवक्ता अनुराग टंडन और अश्विन मनोहरन के माध्यम से दायर याचिका में दावा किया गया है कि कानून में किसी भी अधिकार के बिना और संवैधानिक प्रावधानों के उल्लंघन में अधिसूचना जारी की गई थी। याचिका में कहा गया है कि ऑटो चालक शायद ही कभी मीटरों से जाने के लिए सहमत होते हैं और अतिरिक्त शुल्क लेते हैं। किराया संशोधन उन्हें सामान्य से अधिक कीमत वसूलने के लिए अधिकृत करता है। ऑटो किराए में बढ़ोतरी से कुछ बुनियादी वस्तुओं की कीमत में भी बढ़ोतरी हो सकती है क्योंकि शहर के भीतर माल की ढुलाई के लिए ऑटो का नियमित रूप से उपयोग किया जाता है।