“कन्हैयालाल के हत्यारे कठोरतम सजा के हकदार लेकिन दूसरे धर्मों का नफरत की सीमा तक विरोध करने वालों का क्या”
दिनदहाड़े गला रेत देना... उफ! हत्या तो वैसे भी किसी सूरत में जायज नहीं ठहराई जा सकती, और फिर झीलों के शहर उदयपुर में जिस नृशंस तरीके से टेलर कन्हैयालाल की जान ली गई उसकी तो सभ्य समाज में कोई जगह नहीं है। हत्यारों की हिमाकत देखिए। उन्होंने वारदात का वीडियो बनाया और धर्म के नाम पर अपने कृत्य को सही ठहराने की कोशिश भी की। धर्मांधता में डूबा ऐसा शख्स निश्चित रूप से कठोरतम सजा का हकदार है। लेकिन भारतीय जनता पार्टी की निलंबित प्रवक्ता नुपुर शर्मा के जिस बयान से इन सबकी शुरुआत हुई, वह भी दूसरे धर्म के प्रति नफरत की सीमा तक के विरोध को दर्शाता है।
यही कारण है कि जब नुपुर शर्मा ने अपने खिलाफ अलग-अलग राज्यों में दर्ज मामलों को दिल्ली स्थानांतरित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील की, तो न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायाधीश जे.बी. पारदीवाला की अवकाशकालीन बेंच ने कहा, “उन्होंने जो कहा वह बेहद शर्मनाक है। उनकी हल्की जुबान ने पूरे देश में आग लगा दी है। उदयपुर की दुर्भाग्यपूर्ण वारदात के लिए वे जिम्मेदार हैं। उन्हें पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने महज सस्ते प्रचार और राजनीतिक एजेंडे के लिए ऐसा किया... क्या हुआ अगर वे किसी पार्टी की प्रवक्ता हैं। इससे इस तरह के बयान देने का लाइसेंस नहीं मिल जाता। उन्हें लगता है कि उनके पास सत्ता की ताकत है और देश के कानून का सम्मान किए बिना कोई भी बयान दे सकती हैं।” कोर्ट को कहना पड़ा कि देश में जो भी हो रहा है उसके लिए वे अकेली जिम्मेदार हैं।
पीड़ित परिवार के साथ मुख्यमंत्री गहलोत
दरअसल, महाराष्ट्र के अमरावती में केमिस्ट उमेश कोल्हे की हत्या को भी नुपुर शर्मा के बयान से जोड़कर देखा जा रहा है। कहा जा रहा है कि सोशल मीडिया पर नुपुर शर्मा के बयान का समर्थन करने की वजह से कोल्हे की हत्या की गई। उदयपुर की घटना से हफ्ते भर पहले, 21 जून को इसे अंजाम दिया गया। इस मामले में अभी तक (4 जुलाई) सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है। छत्तीसगढ़ के दुर्ग में भी पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोप है कि इन दोनों ने नुपुर शर्मा के बयान का समर्थन करने वाले एक व्यक्ति को जान से मारने की धमकी दी। फिलहाल महाराष्ट्र पुलिस का आतंकरोधी दस्ता (एटीएस) और एनआइए अमरावती मामले की जांच कर रही है।
उदयपुर हत्याकांड की जांच भी एनआइए को सौंप दी गई है। राजस्थान पुलिस के महानिदेशक एम.एल. लाठर के अनुसार कुछ ऐसे तथ्य सामने आए हैं जिनके चलते मामला एनआइए को ट्रांसफर किया गया है। राजस्थान पुलिस की एसआइटी भी जांच कर रही है। एसआइटी के अनुसार आरोपी रियाज जब्बार अख्तरी और गौस मोहम्मद दावत-ए-इस्लामी नाम के संगठन से जुड़े थे। गौस मोहम्मद पाकिस्तान में प्रशिक्षण ले चुका है। वह नेपाल के रास्ते दावत-ए-इस्लामी के कराची मुख्यालय गया था और वहां 15 दिन की ट्रेनिंग लेकर लौटा था। रियाज और गौस ने वारदात के वीडियो भी बनाए थे। इसमें एक वीडियो हत्या का था और दूसरे में उन्होंने कन्हैया की हत्या करने की बात कबूली थी।
कन्हैयालाल ने नूपुर शर्मा के बयान के समर्थन में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया था। इसके बाद उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज हुई और 11 जून को उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। जमानत पर 15 जून को बाहर आने के बाद उन्होंने पुलिस को बताया कि उन्हें जान से मारने की धमकी मिल रही है। कन्हैया के अनुसार कुछ लोग उनकी लगातार रेकी कर रहे हैं और उन्हें दुकान नहीं खोलने दे रहे। खबरों के मुताबिक स्थानीय पुलिस ने दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता करके मामला सुलटाने की कोशिश की। आखिरकार 28 जून को रियाज और गौस कपड़ा सिलवाने के बहाने कन्हैया की दुकान पर गए और उनकी हत्या कर दी।
वारदात से पहले सुस्त पड़ी पुलिस ने हत्या के बाद तेजी दिखाई और दोनों हत्यारों को राजसमंद जिले में गिरफ्तार कर लिया। उन्हें उदयपुर के जिला सत्र न्यायालय में 30 जून को पेश किया। कोर्ट ने दोनों को 13 जुलाई तक 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। बाद में दोनों के सहयोगी मोहसिन और आसिफ भी गिरफ्तार किए गए। जयपुर स्थित विशेष अदालत ने चारों को 12 जुलाई तक एनआइए की हिरासत में भेजने का आदेश दिया। इस दौरान कोर्ट परिसर में हंगामा भी हुआ और भीड़ ने आरोपियों की पिटाई कर दी।
घटना को अंजाम दिए जाने के बाद से ही लोगों की नाराजगी दिख रही थी। लोगों ने कई शहरों में प्रदर्शन किए। बाड़मेर, ब्यावर, केकड़ी, बीकानेर, दौसा सहित कई कस्बे घटना के विरोध में बंद रहे। हालात काबू में लाने के लिए पूरे प्रदेश में धारा 144 लगा दी गई और चार दिनों तक मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं। राज्य सरकार ने उदयपुर के आइजी हिंगलाजदान समेत कई अधिकारियों का ट्रांसफर कर दिया और कई अधिकारी निलंबित भी किए गए।
घटना में नया मोड़ तब आया जब आरोपी रियाज की एक तस्वीर सामने आई। इसमें वह उदयपुर से भाजपा विधायक और नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और अन्य नेताओं के साथ खड़ा नजर आ रहा है। सोशल मीडिया पर यह तस्वीर वायरल होने के बाद सत्तारूढ़ कांग्रेस और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए। कांग्रेस के मीडिया प्रमुख पवन खेड़ा ने आरोप लगाया, “भाजपा नेता इरशाद चेनवाला के 30 नवंबर 2018 के पोस्ट और मोहम्मद ताहिर के पोस्ट से जाहिर है कि कन्हैयालाल का हत्यारा आतंकी रियाज न सिर्फ भाजपा नेताओं का करीबी था, बल्कि वह भाजपा का सक्रिय सदस्य भी था।”
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राजस्थान मुस्लिम वक्फ बोर्ड के चेयरमैन खानू खान बुधवाली ने कहा कि आरोपी के साथ नेता कटारिया की तस्वीर का वायरल होना काफी गंभीर बात है। इस तरह के फोटो वायरल होने से साफ तौर पर पता चल रहा है कि भाजपा कार्यकर्ताओं की मानसिकता किस तरह की है। उन्होंने कटारिया और भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सादिक खान के इस्तीफे की भी मांग की। सादिक खान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पूरे मामले में सफाई दी। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति किसी सेलिब्रेटी के साथ फोटो खिंचवा सकता है। रियाज को भाजपा कार्यकर्ता बताना झूठा और बेबुनियाद है।
इस बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी का एक फर्जी वीडियो भी जारी किया गया जिसमें उन्हें दोषियों को माफी देने की बात कहते हुए दिखाया गया। राहुल ने दरअसल केरल के वायनाड में अपने ऑफिस में तोड़फोड़ करने वालों को माफ करने की बात कही थी, जबकि भाजपा के कुछ नेताओं ने उसे उदयपुर हिंसा से जोड़कर दिखाने की कोशिश की। इस सिलसिले में भाजपा सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ और सुब्रत पाठक के खिलाफ छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में एफआइआर दर्ज की गई है। दिल्ली, झारखंड, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में भी शिकायत दर्ज कराई गई हैं। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर फर्जी खबर फैलाने वाले भाजपा नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की है।
हालांकि ऐसी कोई कार्रवाई होगी, ऐसी उम्मीद करना बेमानी है। वरना कम से कम सुप्रीम कोर्ट की सख्त आलोचना के बाद तो नुपुर शर्मा के खिलाफ पुलिस कार्रवाई होती ही। अब तो बस यही उम्मीद की जा सकती है कि नफरत फैलाने का यह माहौल जल्दी खत्म हो।